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हत्या या आत्महत्या, पुलिस बताने में असमर्थ

डेहरी नगर : मेडिकल की तैयारी कर रही छात्रा की कोचिंग संस्थान में संदेहास्पद स्थिति में मौत के दो दिन बाद भी पुलिस नावाडीह स्थित कोचिंग संस्थान तक नहीं पहुंच सकी है. अनुमंडल क्षेत्र के रोहतास थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव के आवासीय कोचिंग संस्थान में कथित तौर पर छात्रा की आत्महत्या को लेकर कोचिंग […]

डेहरी नगर : मेडिकल की तैयारी कर रही छात्रा की कोचिंग संस्थान में संदेहास्पद स्थिति में मौत के दो दिन बाद भी पुलिस नावाडीह स्थित कोचिंग संस्थान तक नहीं पहुंच सकी है. अनुमंडल क्षेत्र के रोहतास थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव के आवासीय कोचिंग संस्थान में कथित तौर पर छात्रा की आत्महत्या को लेकर कोचिंग संस्थान पर कई सवाल उठने लगे हैं.

घटना के दो दिनों बाद तक पुलिस द्वारा आवासीय संस्थान की जांच नहीं करने व संचालक से पूछताछ नहीं करने पर पुलिस पर भी सवाल उठने लगे हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार, पुलिस ने रोहतास थाना में दर्ज कांड में मृतका रचना कुमारी के दुपट्टे के दोनों टुकड़ों को जब्त कर जांच शुरू करने की बात कही है.
ज्ञातव्य हो कि, नासरीगंज थाना क्षेत्र के पैगा निवासी रमेश प्रसाद जो वर्तमान में डेहरी नगर थाना क्षेत्र के नील कोठी मुहल्ले में रहते हैं कि बेटी रचना की मौत शनिवार की दोपहर नावाडीह आवासीय कोचिंग संस्थान के एक कमरे में हो गयी थी. कोचिंग संचालक शिवाश्रय सिंह ने इसे आत्महत्या का मामला बताया है.
फिलहाल उनके कोचिंग में मात्र तीन छात्र-छात्राएं ही आवासीय रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहे हैं. जानकारों की माने तो शिवाश्रय सिंह करीब 10 वर्षों से आवासीय तौर पर गांव के अपने घर में ही मेडिकल की तैयारी कराते हैं. लेकिन, उक्त कोचिंग संस्थान का गांव के उस घर पर ना कोई बोर्ड है व ना ही कोई निबंधन संख्या. प्रशासन की मानें तो बगैर बोर्ड व बगैर निबंधन के किसी तरह की मेडिकल की तैयारी या कोचिंग संस्थान गैरकानूनी है.
बावजूद इसके बिहार व झारखंड के कुछ स्टूडेन्ट्स यहां कोचिंग करने आते हैं तथा आवास में ही रहकर मेडिकल की तैयारी करते हैं. मृतिका भी करीब 5 माह से इस आवासीय परिसर में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रही थी. शनिवार की दोपहर कोचिंग संचालक ने मृतिका के पिता रमेश प्रसाद को उनकी बेटी के बेहोश होने की बात कही.
उसे डेहरी अस्पताल लाया गया, जहां छात्रा की मौत हो गयी. मृतका के पिता रमेश प्रसाद ने थाने में दिए गए बयान में कहा है कि कोचिंग संचालक के अनुसार उनकी बेटी ने दुपट्टा गले में बांध आत्महत्या कर ली है.
वह भौतिकी में पढ़ने में कमजोर होने के कारण डिप्रेशन में थी. सवाल यह है कि जब छात्रा डिप्रेशन की शिकार थी, तो इसकी सूचना उसके पिता को क्यों नहीं दी गई? जबकि मृतिका के पिता ने कहा कि उनकी बेटी एक बहादुर लड़की थी. छुट्टी में घर आने पर कभी-कभी उनके व्यावसायिक प्रतिष्ठान पर भी बैठती थी.
किसी तरह की जांच नहीं होना करता है संदेह व्यक्त
गौरतलब हो कि, कोचिंग के आवासीय परिसर में कोई सीसीटीवी कैमरे नहीं है. घटना के बाद संचालक ने रोहतास थाना को इसकी सूचना नहीं दी.
यह कई सवाल खड़ा करता है. जानकारों की माने तो करीब एक दशक से चल रहे संस्थान के बारे में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी कभी किसी तरह की जांच नहीं होना संदेह व्यक्त करता है. इस संबंध में एएसपी संजय कुमार ने बताया कि एक इंस्पेक्टर को जांच के लिए भेजा जायेगा. वहीं रोहतास थाना प्रभारी थानाध्यक्ष विजेंद्र कुमार ने कहा कि पहले दिन मुझे घटना की सूचना नहीं थी.
डेहरी थाना से प्रतिवेदन के साथ दुपट्टे के दोनों टुकड़ों को प्राप्त किया जा रहा है. इसके आधार पर जांच की जा रही है. पर जांच कैसा? जबकि वे स्वयं स्वीकारते हैं कि व्यस्तता के कारण अभी तक संस्थान संचालक न तो पूछताछ की गई है और न घटनास्थल की जांच ही. वे अभी तक वरीय अधिकारी के निर्देश का इंतजार कर रहे हैं, इसके बाद ही अग्रेतर कार्रवाई करने की बात कही. पुलिस की इस कार्यशैली को लेकर लोगों में संदेह बढ़ता जा रहा है.

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