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तीन सदस्यीय टीम ने नहीं दी जांच रिपोर्ट, हर्ट क्लिनिक को मिली क्लीनचिट

सासाराम कार्यालय : इसे लापरवाही कहें या अदालत की अवहेलना कि राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्देश के बावजूद गठित जांच टीम ने रिपोर्ट नहीं दी और मामले का निष्पादन हो गया. आलम यह कि पीड़ित अब लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं. मामला शहर के […]

सासाराम कार्यालय : इसे लापरवाही कहें या अदालत की अवहेलना कि राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्देश के बावजूद गठित जांच टीम ने रिपोर्ट नहीं दी और मामले का निष्पादन हो गया. आलम यह कि पीड़ित अब लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के निर्णय के विरुद्ध हाईकोर्ट जाने की तैयारी में हैं.

मामला शहर के हर्ट क्लिनिक से जुड़ा है, जिसके विरुद्ध शहर के चंदनपुरा मुहल्ला निवासी हाईकोर्ट के अधिवक्ता रवि कुमार सिंह ने पहले जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की अदालत में परिवाद दायर किया. इसके बाद राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की अदालत में गये, लेकिन जांच रिपोर्ट के बिना ही हर्ट क्लिनिक को क्लीनचिट मिल गयी.
अपने आदेश में राज्य लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कहा है कि जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, रोहतास व सीएस (असैनिक शल्य चिकित्सक सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी) सासाराम उपस्थित अपीलार्थी ने यह अपील जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, रोहतास के निर्णय के विरुद्ध दायर किया है. जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, रोहतास ने अपने आदेश में बताया है कि समर्पित परिवाद पर स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत लोक प्राधिकार के रूप में सीएस रोहतास को सूचना निर्गत की गयी.
इनकी ओर से औषधि निरीक्षक रोहतास पत्रांक 23, 30 जनवरी 2019 तथा सीएस, रोहतास सासाराम के पत्रांक 585, 27 फरवरी 2019 से प्रतिवेदन प्राप्त है,जिसमें जांच प्रतिवेदन को संलग्न किया गया है. इसमें अंकित है कि निरीक्षण के दौरान हर्ट क्लिनिक में कोई भी औषधि प्रतिवेदन नहीं पाया गया. न ही किसी प्रकार की औषधियों का संधारण पाया गया.
हर्ट क्लिनिक के डॉ गिरीश नारायण मिश्रा द्वारा बताया गया कि इनके पास किसी भी प्रकार के औषधियों का संचय नहीं है. ये सिर्फ रोगी को दवा का पर्चे लिख देते हैं तथा रोगी अपनी सुविधा के अनुसार दवा खरीदते हैं. हर्ट क्लिनिक में काफी छानबीन के बाद कहीं पर भी औषधियां नजर नहीं आयी.
प्रतिवेदन में यह भी बताया गया है कि हर्ट क्लिनिक के संचालक डॉ गिरीश नारायण मिश्रा द्वारा स्वीकार किया गया है कि इनके द्वारा मरीज के पर्चे पर भूलवश गलत तिथि अंकित कर दी गयी थी, जिसे इनके द्वारा सुधार कर दिया गया है. इस प्रकार प्राप्त प्रतिवेदन में परिवादी का दवाखाना चलाने से संबंधित आरोप सही नहीं पाया गया.
अतएव जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, रोहतास ने सिविल सर्जन को निर्देश देते हुए इस वाद को निष्पादित कर दिया है कि वे निजी प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सकों पर सतत निगरानी रखेंगे, ताकि किसी मरीज को कोई परेशानी न हो सकें. साथ ही यह भी निर्देश दिया है कि वे परिवाद के अन्य बिंदुओं की जांच कर नियमानुकूल कार्रवाई करेंगे.
परिवादी का परिवाद सासाराम में स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं के निवारण से संबंधित है. इस प्राधिकार द्वारा दिनांक 25 जून 2019 को सुनवाई की गयी थी, जिसमें जिला पदाधिकारी, रोहतास, सासाराम को निर्देश दिया गया था कि परिवादी के परिवाद के संबंध में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन कर मामले की जांच करायें.
जांच प्रतिवेदन के साथ सुनवाई की अगली तिथि 09 जुलाई 2019 को किन्हीं वरीय पदाधिकारी को भेजना सुनिश्चित करें. इस प्राधिकार द्वारा 09 जुलाई 2019 को सुनवाई की गयी थी, जिसमें जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी, रोहतास द्वारा बताया गया था कि त्रि सदस्यीय समिति का गठन कर दिया गया है.
परंतु जांच प्रतिवेदन अब तक अप्राप्त है. जिला पदाधिकारी, रोहतास को निर्देश दिया गया था कि परिवादी के परिवाद के आलोक में जांच करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 23 जुलाई 2019 को जांच प्रतिवेदन के साथ किन्हीं वरीय पदाधिकारी को भेजेंगे.
23 जुलाई 2019 को सुनवाई की गयी. सीएम, रोहतास ने ज्ञापांक-2138, 22 जुलाई 2019 के माध्यम से प्रतिवेदित किया है कि आरोपित चिकित्सक डॉ गिरीश नारायण मिश्र द्वारा बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की समुचित व्यवस्था कर ली गयी है. जबकि 21 फरवरी 2019को आरोपित चिकित्सक द्वारा जांच पदाधिकारी को प्रतिवेदित किया गया कि क्लिनीक में वायोवेस्ट जेनरेट नहीं होता है.
इस निर्णय के बाद परिवादी के अधिवक्ता रवि कुमार सिंह ने कहा कि जब किसी जगह वायोवेस्ट जेनरेट नहीं होता है, तो फिर उसे बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल की जरूरत क्यों है? यही एक सवाल है, जो स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली को उजागर करता है. वहीं, जिला प्रशासन की कार्यशैली भी सामने आयी कि अदालत तीन सदस्यीय टीम की जांच रिपोर्ट मांगते रह गयी और परिवाद की समाप्ति तक नहीं जांच रिपोर्ट नहीं दिया.
इसके कारण बिना जांच रिपोर्ट के ही परिवाद पर फैसला न्यायालय को सुनाना पड़ा. मैं इसके लिए हाई कोर्ट जाउंगा. क्योंकि मैं जानता हूं कि शायद ही कोई एक ऐसे डॉक्टर होंगे, जिनके यहां दवाखाना नहीं हो. अब मामले में दूध का दूध व पानी का पानी हाई कोर्ट करेगा.

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