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बराज से नहरों में छोड़ा गया 500 क्यूसेक पानी

इंद्रपुरी : इंद्रपुरी बराज से बुधवार की सुबह खरीफ फसल के लिए पश्चिमी सोन संयोजक नहर में 500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. धीरे-धीरे पानी की मात्रा नहरों में बढ़ायी जायेगी. फिलहाल बराज पर 361.8 फुट पानी उपलब्ध है. जल संसाधन विभाग के इंद्रपुरी डिवीजन के कार्यपालक अभियंता राम विनय सिन्हा ने बताया कि बुधवार सुबह […]

इंद्रपुरी : इंद्रपुरी बराज से बुधवार की सुबह खरीफ फसल के लिए पश्चिमी सोन संयोजक नहर में 500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया. धीरे-धीरे पानी की मात्रा नहरों में बढ़ायी जायेगी. फिलहाल बराज पर 361.8 फुट पानी उपलब्ध है. जल संसाधन विभाग के इंद्रपुरी डिवीजन के कार्यपालक अभियंता राम विनय सिन्हा ने बताया कि बुधवार सुबह छह बजे इंद्रपुरी बराज से पश्चिमी सोन संयोजक नहर में 500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. दो-दो घंटे पर 500 क्यूसेक पानी बढ़ेगा. बुधवार को 12 बजे दिन में 1000 क्यूसेक पानी नहर में दिया जा रहा है.

गुरुवार तक डेहरी मेन कैनाल में 2500 क्यूसेक व उच्चस्तरीय कैनाल में 1500 क्यूसेक छोड़ दिया जायेगा. गर्मी के कारण नहरों के तटबंध में कई जगह दरार आने की आशंका रहती है. इसलिए नहरों की क्षमता के अनुसार पानी की आपूर्ति एक बार में नहीं की जाती है. धीरे-धीरे पानी दिया जा रहा है. फिलहाल, बराज पर 361.8 फुट पानी उपलब्ध है. बाणसागर से 4000 क्यूसेक व रिहंद जलाशय से 2000 क्यूसेक पानी सोन नदी में छोड़ा गया है.
लेकिन, बराज पर पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिला है. फिलहाल, बिचड़ा डालने के लिए पानी की आवश्यकता को पूरा कर लिया जायेगा. ऐसे भी एक सप्ताह में बारिश होने की संभावना है. उन्होंने बताया कि नहर के चौड़ीकरण व एनएच टू-सी मार्ग के निर्माण के दौरान डेहरी-हदहदवा पुल के समानांतर पुल बनाने के लिए मेन नहर में डायवर्सन बना कर निर्माण कंपनी द्वारा काम किया जा रहा था. इसको नहर में पानी बहाव के लिए हटा दिया गया है.
इधर, नहरों में पानी के कम बहाव को लेकर किसान काफी चिंतित हैं. किसानों का कहना है कि हर वर्ष सिंचाई विभाग द्वारा 25 मई को इंद्रपुरी बराज से नहरों में पानी छोड़ा जाता था, लेकिन इस वर्ष सोन नदी में पानी की कम उपलब्धता के कारण सोन नहर में देर से पानी छोड़ा गया है. इससे खेती 10 दिन पीछे हो गयी है. इधर, कड़ी धूप व गर्मी के कारण भू-जल स्तर काफी नीचे चला गया है. अगर समय से खेतों को पानी नहीं मिलेगा, तो खेतों की प्यास कैसे बुझेगी. समय पर बीज कैसे डाले जायेंगे.

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