सासाराम नगर : रुपये की कमी के कारण शहर के बाहर बेदा में बन रहे अंतरराज्यीय बस पड़ाव का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. बस पड़ाव का प्राक्कलन तीन करोड़ 88 लाख रुपये का है. जिसमें बुडको को अब तक मात्र दो करोड़ 39 लाख रुपये ही नगर पर्षद की तरफ से उपलब्ध कराये गये हैं. प्राक्कलन के अनुसार, एक करोड़ 49 लाख रुपये अभी बुडको को उपलब्ध नहीं कराया गया है.
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चार साल से फंसा है अंतरराज्यीय बस पड़ाव का काम
सासाराम नगर : रुपये की कमी के कारण शहर के बाहर बेदा में बन रहे अंतरराज्यीय बस पड़ाव का निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पा रहा है. बस पड़ाव का प्राक्कलन तीन करोड़ 88 लाख रुपये का है. जिसमें बुडको को अब तक मात्र दो करोड़ 39 लाख रुपये ही नगर पर्षद की तरफ से […]
जिससे निर्माण कार्य बाधित है. चार वर्ष पहले नये बस पड़ाव के निर्माण की योजना बनी थी. 30 मार्च, 2018 तक बस पड़ाव का निर्माण कर नगर पर्षद को हैंड ओवर कर देना था. इस योजना की कार्य एजेंसी बुडको शुरू से ही निर्माण को लेकर गंभीर नहीं दिखी.
एक वर्ष विलंब के बाद भी निर्माण कब पूरा होगा यह स्थिति स्पष्ट नहीं है. कई बाधाओं के बाद पड़ाव में सिर्फ भवन का ही निर्माण हो सका है. बुडको के अधिकारी कहते हैं कि निर्माण लगभग पूरा हो गया है. अब सिर्फ एप्रोच रोड व पुल बनना बाकी है. एक माह में यह काम भी पूरा हो जायेगा.
अगर नगर पर्षद समय से राशि उपलब्ध करा दे. इधर, नप के अधिकारी कहती हैं कि बस पड़ाव निर्माण के लिए नगर पर्षद को जो राशि उपलब्ध करायी गयी थी उसे बुडको को निर्गत कर दिया गया है. नगर विकास विभाग जैसे ही राशि उपलब्ध करायेगी उसे तत्काल निर्गत किया जायेगा.
एप्रोच रोड व पुल बनना अभी बाकी
बस पड़ाव निर्माण शुरु से ही कठिन परिस्थितियों में रहा है. समय से राशि भी उपलब्ध नहीं कराया गया. जिससे निर्माण में विलंब होना स्वाभाविक है. अभी करीब डेढ़ करोड़ रुपया निर्गत नहीं हुआ है. पड़ाव में फिनिशींग व एप्रोच रोड और पुल बनाना है. समय से राशि उपलब्ध हो जाये, तो एक माह में निर्माण कार्य पूरा हो जायेगा.
जितेंद्र कुमार, सहायक अभियंता, बुडको
जल्दबाजी में बनी थी नये बस पड़ाव निर्माण की योजना
नये बस पड़ाव की योजना जल्दबाजी में बनायी गयी थी. बस पड़ाव शहर की सीमा पर बन रहा है. सासाराम नगर पर्षद से बहुत जल्द नगर निगम बनने वाला है. इसके लिए नगर विकास विभाग को प्रस्ताव भेजा गया है. अभी जो समस्या है कुछ ही वर्षों बाद नये पड़ाव को लेकर उत्पन्न होगी.
नये बस पड़ाव में बस किस रास्ते से पहुंचेगी यह स्थिति अब तक स्पष्ट नहीं है. शहर में रिंग रोड बनाने की योजना अभी फाइलों से बाहर नहीं निकल सकी है. नये बस पड़ाव बनाने का उद्देश्य यही था कि शहर में बड़े वाहनों का प्रवेश बंद हो जायेगा.
बस स्टैंड स्थानांतरित होने के बाद भी बनी रहेगी समस्या
नो एंट्री के बाद भी शहर में प्रतिदिन करीब पांच सौ बसों का आना-जाना होता है. इसके साथ करीब एक हजार छोटी सवारी गाड़ियों का पुराने जीटी रोड पर आना-जाना है.
जिससे ट्रैफिक व्यवस्था ध्वस्त हो जाता है और घंटों जाम लगा रहता है. यही स्थिति बस पड़ाव स्थानांतरित होने के बाद होगी. चूकि सासाराम-चौसा पथ व सासाराम-आरा रोड की बसों व अन्य वाहनों को अभी शहर से होकर ही आना-जाना होगा.
इसी तरह नये बस पड़ास से एनएच-2 की दूरी महज एक मिलोमिटर है और प्रशासन बस पड़ाव से एनएच-2 तक सड़क निर्माण कराने की योजना भी नही बना सकी है. शहर की जनता बुडको व नगर पर्षद की लापरवाही का खामियाजा भुगत रही है. दोनों एक-दूसरे के सर पर आरोप मढ़ कर इस मामले से बस निकलने का प्रयास में लगे रहते हैं.
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