फ्यूज बल्ब बदलने के लिए उपभोक्ता लगा रहे बिजली विभाग के कार्यालय का चक्कर
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गारंटी का समय पूरा होने से पहले ही ”उजाला” की लाइट हो गयी फेल
फ्यूज बल्ब बदलने के लिए उपभोक्ता लगा रहे बिजली विभाग के कार्यालय का चक्कर एक वर्ष पहले उजाला योजना के तहत बिजली कार्यालय में बिक रहा था एलइडी बल्ब 80 रुपये में बिक रहा बल्ब, तीन वर्ष की मिल रही थी गारंटी सासाराम शहर : बिजली विभाग कार्यालय में एक वर्ष पहले उजाला योजना के […]
एक वर्ष पहले उजाला योजना के तहत बिजली कार्यालय में बिक रहा था एलइडी बल्ब
80 रुपये में बिक रहा बल्ब, तीन वर्ष की मिल रही थी गारंटी
सासाराम शहर : बिजली विभाग कार्यालय में एक वर्ष पहले उजाला योजना के तहत एलईडी बल्ब की बिक्री शुरु हुई थी. उस समय प्रति बल्ब 80 रुपये बेचा जा रहा था. जिसकी गारंटी तीन वर्ष थी. उपभोक्ताओं को उनके पहचान पत्र पर बल्ब दिया जाता था. इसकी डिमांड इतनी बढ़ी की उपभोक्ता अपने घर से लेकर दुकान, दफ्तर, स्कूल आदि जगहों पर भी यही बल्ब लगाये. पहले तो इस बल्ब की बिक्री का सिलसिला छह माह तक रफ्तार में चला, लेकिन इसके बाद जब बल्ब फ्यूज होना शुरू हुआ, तो उपभोक्ता उसे बदलने के लिए बिजली विभाग के कार्यालय पहुंचे, तो वहां जो जवाब मिला उससे वह हक्का-बक्का रह गये.
विभाग के अधिकारियों से जवाब आने लगा कि बल्ब की बिक्री विभाग नहीं, बल्कि इएसएसएल नामक एनजीओ कर रही थी. अब बल्ब बिक्री के एक वर्ष बित गये. सैकड़ों उपभोक्ता फ्यूज बल्ब लेकर विभाग का चक्कर लगा रहे हैं. इधर, एनजीओ चलानेवाले उपभोक्ताओं को लाखों रुपये का चुना लगा कर बिजली विभाग के कार्यालय में आना छोड़ दिये है. अधिकारी भी उपभोक्ता को जवाब देते-देते थक गये, तो एनजीओ का नंबर बाहर चिपका दिये हैं, जो हमेशा बंद ही मिलता है. इन सभी प्रक्रियाओं के बाद उपभोक्ता अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है.
दुकानदार भी वहीं से खरीद कर कर रहे थे बिक्री
ग्रामीण क्षेत्रों के दुकानदार 80 रुपये के दाम पर हजारों बल्ब लेकर सौ रुपये में अपने दुकानों से बेच रहे थे. उनके द्वारा भी तीन वर्ष की गारंटी दी गयी थी. अब उपभोक्ता जिन दुकानों से बल्ब खरीदे थे वहां पहुंच रहे है, तो दुकानदारों को अपने यहां से बल्ब लौटाना पड़ रहा हैं. जिससे दुकानदारों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.
बल्ब लेने में काफी प्रक्रिया पूरी करनी थी और विभाग में अधिकारियों की देख-रेख में ही बिक्री हो रही थी. जब बल्ब फ्यूज होने लगे तो एनजीओ की बात कह कर अधिकारी अपना पाला झाड़ रहे है.
संजय गुप्ता
हमने एक दर्जन बल्ब खरीदा था, जिसमें आठ फ्यूज हो गये है. अगर इसमें विभाग की जवाबदेही नहीं है, तो विभाग को उसी वक्त एनजीओ द्वारा बल्ब बिक्री पर रोक लगानी चाहिए थी.
नीरज पासवान
बिजली विभाग की जवाबदेही नहीं
बल्ब की बिक्री इएसएसएल नामक एक एनजीओ द्वारा की जा रही थी. बल्ब बेचने और लौटाने की जिम्मेदारी भी उसकी ही थी. उपभोक्ताओं की परेशानी देख एनजीओ संचालक से बात करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन उससे संपर्क नहीं हो पा रहा है. इसकी जवाबदेही बिजली विभाग की नहीं है.
अभय रंजन, कार्यपालक अभियंता, बिजली विभाग
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