पूर्णिया में मुसीबत बना है टू लेन फ्लाइओवर पर सिक्स लेन रोड का लोड
खुश्कीबाग में सिक्सलेन फ्लाइओवर निर्माण के लिए सरकारी स्तर से पहल जरूरी
पुल है रेलवे का और एप्रोच रोड बिहार सरकार का, नहीं निकल रहा कोई निदान
पूर्णिया. विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो गई और बहुत जल्द सरकार भी बनने वाली है पर खुश्कीबाग में रेलवे फ्लाइओवर का सवाल अब भी पहले की तरह खड़ा है जबकि टू लेन के फ्लाइओवर पर सिक्सलेन रोड का लोड आम लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है. हालांकि क्षतिग्रस्त होने के कारण अभी फ्लाइओवर पर भारी वाहनों का परिचालन रोक दिया गया है पर लोगों का कहना है कि इसके दुरुस्त होने के बावजूद समस्या जस की तस रह जाएगी. शहरवासियों का मानना है जब तक फ्लाइओवर की चौड़ाई नहीं बढ़ायी जाएगी या बगल में अलग से टू लेन फ्लाइओवर का निर्माण न हो जाए. नागरिकों का कहना है कि चुनाव बीत गया पर आम लोगों की इस मुसीबत को गंभीरता से नहीं लिया गया.गौरतलब है कि शहर के गुलाबबाग और खुश्कीबाग के बीच टू लेन के फ्लाइओवर पर सिक्सलेन रोड का लोड परेशानी का सबब है. हालांकि अभी इस पर भारी वाहनों का प्रवेश वर्जित है ट्रैफिक व्यवस्था कुछ हद तक दुरुस्त की गई है जिससे थोड़ी राहत मिली है पर सिर्फ मरम्मत से समस्या खत्म नहीं होने वाली है. आलम यह है कि यहां सामान्य दिनों में भी आवागमन में मुश्किलें होती हैं पर पर्व-त्योहार के समय फ्लाइओवर को पार करना असहज हो जाता है. अभी हाल ही में छठ महापर्व बीता है जिसमें लोगों को आने-जाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
दरअसल, आवाजाही की सबसे ज्यादा मुश्किल स्टेशन जाने वाले टर्निंग प्वाइंट पर होती है क्योंकि इस जगह पर वाहनों का चौतरफा दबाव बन जाता है. यही वजह है कि अब यहां सड़क के आकार वाले सिक्सलेन फ्लाइओवर की जरूरत महसूस होने लगी है. नागरिकों का मानना है कि सरकार पर सिक्सलेन फ्लाइओवर निर्माण के लिए दबाव बनाया जाना जरूरी है.फ्लाइओवर पर सिमट जाते सिक्सलेन से आने वाले वाहन
याद रहे कि गुलाबबाग जीरोमाइल से मरंगा के बीच फोरलेन सड़क बनी हुई है. बीच में खुश्कीबाग हाट के समीप रेलवे का फ्लाइओवर बना हुआ है जिसके नीचे से जोगबनी, कटिहार और सहरसा के लिए ट्रेनें गुजरती हैं. होता यह है कि दोनों तरफ से सिक्स लेन वाली चौड़ी सड़क से छोटी-बड़ी गाड़ियां फैल कर आती हैं और इस फ्लाइओवर के समीप सिमटना पड़ता है. चूंकि वाहनों का दबाव दोनों तरफ से होता है इसलिए स्वाभाविक रुप से फ्लाइओवर पर दबाव बन जाता है और इससे जाम की नौबत आ जाती है. बाहर से देखने पर लोग इसे ट्रैफिक की समस्या बता जाते हैं पर गहराई से देखने पर आने-जाने वाले लोग ही यह कहने से गुरेज नहीं करते कि यह टू लेन फ्लाइओवर सिक्सलेन रोड का लोड बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है. ————————-आंकड़ों पर एक़ नजर
1977 में मिली थी फ्लाइओवर निर्माण योजना को स्वीकृति27 करोड की लागत से हुआ फ्लाईओवर का निर्माण2008 में किया गया फ्लाइओवर का उद्घाटन
2012 में आयी थी एयरक्रेक की शिकायत25 साल का समय बजट में शामिल होने में लग गया
31 साल के बाद पूरा हो सका निर्माण का काम2025 में क्षतिग्रस्त होने का लगाया गया बोर्ड
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