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जीएलएम कॉलेज के चौमुखी विकास को पूर्णिया विवि देगा पूरी प्राथमिकता : प्रो. विवेकानंद

समापन सत्र को कुलपति ने किया संबोधित

जीएलएम कॉलेज बनमनखी में चार दिवसीय महोत्सव के समापन सत्र को कुलपति ने किया संबोधित पूर्णिया/बनमनखी. गोरेलाल मेहता कॉलेज, बनमनखी ने अपने गौरवशाली इतिहास का एक और सुनहरा अध्याय जोड़ते हुए अपनी स्थापना की 70वीं वर्षगांठ एवं हिन्दी पखवारा पर चार दिनों का भव्य आयोजन सफलतापूर्वक सम्पन्न किया. चतुर्दिवसीय महोत्सव के समापन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में पधारे पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने कहा कि विद्यार्थियों को केवल शैक्षणिक पढ़ाई तक सीमित न रहकर विभिन्न पाठयक्रमेतर गतिविधियों में भी भाग लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह समय विद्यार्थियों के जीवन का सबसे महत्वपूर्ण पड़ाव होता है, इसलिए उन्हें लक्ष्य के अनुरूप गंभीरता, मेहनत और सच्चे समर्पण के साथ तैयारी करनी चाहिए. कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने कहा कि ने कहा कि महाविद्यालय का असली परिचय उसके विद्यार्थी होते हैं जो आगे चलकर राज्य, समाज और राष्ट्र के भविष्य की धुरी बनते हैं. कुलपति प्रो. विवेकानंद सिंह ने कहा कि कॉलेज के विकास और सुधार के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से हरसंभव सहयोग प्रदान किया जाएगा. अपने आह्वान में उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे कॉलेज से विदा होते समय अपने योगदान और उपलब्धियों से ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें जिससे आने वाले समय में यह संस्थान और भी ऊंचाइयों पर दिखाई दे. कॉलेज के कार्यक्रमों से विद्यार्थियों का व्यक्तित्व निर्माण : डॉ. प्रमोद भारतीय समारोह की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. प्रमोद भारतीय ने की. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के आयोजन केवल उत्सव नहीं होते, बल्कि विद्यार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण की कार्यशाला होते हैं. खेलकूद, वाद-विवाद, निबंध, पोस्टर और साहित्यिक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थी न केवल अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं, बल्कि आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना भी विकसित करते हैं. डॉ. भारतीय ने कहा कि महाविद्यालय परिवार को गर्व है कि पिछले सात दशकों से यह संस्था शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में निरंतर योगदान देती आ रहा है. उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया कि वे कठिन परिश्रम और समर्पण के बल पर अपने जीवन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं. चार दिनों का आयोजन रहा यादगार एक सितंबर से चार सितंबर तक चले इस चार दिवसीय आयोजन में विविध प्रकार की प्रतियोगिताएं और कार्यक्रम आयोजित किए गए. खेल प्रतियोगिताओं में विद्यार्थियों ने फुटबॉल, वॉलीबॉल, कबड्डी, एथलेटिक्स आदि खेलों में दमखम दिखाया. सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में गीत, नृत्य और नाटक का रंगारंग प्रदर्शन हुआ, जिसने उपस्थित जनों को मंत्रमुग्ध कर दिया. साहित्यिक गतिविधियों में निबंध लेखन, पोस्टर निर्माण और प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिताओं ने विद्यार्थियों की प्रतिभा को सामने लाया. संगोष्ठियों में वर्तमान भारत में पत्रकारिता की चुनौतियाँ, हिन्दी भाषा पर व्याकरण का नियंत्रण तथा भारतीय राजनीति में शुचिता जैसे गंभीर और समसामयिक विषयों पर विद्वानों ने अपने विचार रखे. वहीं कवि सम्मेलन में कवियों की रचनाओं ने वातावरण को भावनात्मक और साहित्यिक रस से सराबोर कर दिया. प्रतिभागियों का हुआ सम्मान समापन सत्र में खेलकूद एवं सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार एवं प्रमाणपत्र प्रदान किए गए. इस अवसर पर डॉ. रमीज अहमद, कौशल किशोर प्रसाद, डॉ. चांदनी कुमारी, डाॅ. आनंद सागर, डॉ. आसिफ इकबाल, सुबोध कुमार साह, अमरेंद्र कुमार मेहता, सरोज राम, किशोर कुमार, अमित कुमार, अमरनाथ कुमार, वकील साह, करण कुमार के साथ-साथ 300 से अधिक छात्र-छात्राओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज करायी. पूरे कार्यक्रम का संचालन डॉ. शारदा वंदना एवं बाबुल कुमार शर्मा ने संयुक्त रूप से किया.

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