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ईवीएम व अन्य सामग्रियां ले मतदान केंद्रों के लिए रवाना हुए मतदानकर्मी

विभिन्न डिस्पैच सेंटर पर सभी मतदानकर्मियों को सुबह नौ बजे ही बुलाया गया था और इसी निर्देश के आलोक में मतदानकर्मी डिस्पैच सेंटर पर पहुंचने लगे थे.

पूर्णिया. विधानसभा चुनाव में मतदान कार्य संपन्न कराने के लिए विभिन्न डिस्पैच सेंटर पर सभी मतदानकर्मियों को सुबह नौ बजे ही बुलाया गया था और इसी निर्देश के आलोक में मतदानकर्मी डिस्पैच सेंटर पर पहुंचने लगे थे. डिस्पैच सेंटर पर स्थित ईवीएम वितरण के लिए अलग-अलग विधानसभावार कई कतारों का निर्माण कराया गया था, जिसमें अपनी संख्या के अनुसार मतदानकर्मी पंक्तिबद्ध खड़े हो गये. और फिर ईवीएम वितरण का कार्य शुरू हो गया. दिन के 10 बजते-बजते बड़ी संख्या में मतदान कर्मी वहां उपस्थित हो गये. ईवीएम एवं अन्य मतदान सामग्रियों को हासिल करने वाले मतदानकर्मियों को सामानों की मिलान और तकनीकी जानकारी के बारे में आपस में चर्चा करते देखा गया. करीब डेढ़ बजे तक 70 फीसदी पीठासीन पदाधिकारियों ने ईवीएम हासिल कर लिया था. इसके पश्चात ज्यों ज्यों पूरी टीम इकट्ठा होती गयी, वे सभी सुरक्षा घेरे में ईवीएम सहित तमाम मतदान सामग्रियों के साथ निर्धारित वाहनों पर सवार होकर अपने-अपने निर्धारित मतदान केंद्रों की ओर प्रस्थान करते दिखे. यह सिलसिला लगभग पूरे दिन तक चला.

जज्बा : तीखी धूप में चेहरे पर पसीना फिर भी कंधे पर बैग, हाथों में इवीएम…

पूर्णिया. सोमवार का दिन और सर्द मौसम की सुगबुगाहट के बीच दोपहर की तीखी धूप. कंधे पर बैग. किसी-किसी के सिर पर बैग और हाथों में ईवीएम. चेहरे पर पसीना फिर भी चेहरे पर जोश और जज्बा. महिला मतदानकर्मियों में उत्साह अपेक्षाकृत ज्यादा है. क्या मैडम, इतना भारी सामान… दिक्कत तो नहीं हो रही है ? अरे दिक्कत कैसी, छूटते ही बोल पड़ीं… पहली दफा इस महापर्व को सम्पन्न कराने की जवाबदेही मिली है… अच्छे से निभाऊंगी. दरअसल, अंदर से निकला जज्बा कोई करिश्मा नहीं, बल्कि यह जवाबदेही से आया है. चुनाव कराने की जवाबदेही. वह भी शांतिपूर्वक और निष्पक्ष. नेताओं के बोलने की मोहलत पूरी हो गयी और अब मंगलवार 11 नवंबर को जनता बोलेगी और इसकी गूंज 14 नवंबर को सुनायी देगी.

डिस्पैच सेंटरों पर दिखा लोकतंत्र का मेला

डिस्पैच सेंटरों पर प्रशासन की माइक गूंज रही थी. प्रशासन की यह आवाज चुनाव कर्मियों को साजो-सामान तक मतदान केंद्र तक पहुंचाने के लिए है. चुनाव कर्मी भी डिस्पैच सेंटरों पर जोश-खरोश से पहुंच रहे हैं. जिला स्कूल और पूर्णिया कालेज स्थित डिस्पैच सेंटरों का माहौल बदला-बदला सा है. आज यहां लोकतंत्र का मेला लगा हुआ है. दूर-दराज से चुनाव कर्मी सुबह नौ बजे से पहुंचने लगे थे. सबसे खास बात यह है कि पंडाल की छांव में चुनाव कर्मी अपने बुलावे का इंतजार रहे हैं और अधिकारी भी क्रमवार रूप से उन्हें बुलाकर सामग्री मुहैया करा रहे हैं. कोई परेशानी नहीं, सारा काम इस बार सिस्टम से हो रहा है. जिले में 2553 मतदान केंद्र हैं. मतदान केंद्र के अलावे पेट्रोलिंग टीम भी है. जरूरत के हिसाब से रिजर्व टीम भी बनायी गयी है. सभी अधिकारी और कर्मचारी चुनाव को सफल बनाने में अपना योगदान दे रहे हैं. चुनाव से पहले चुनाव कर्मियों के जज्बे को सलाम है, पर चुनाव कर्मी इस सलाम को तब कबूल करेंगे जब मतदाता उनकी मेहनत कबूल करेंगे और अधिकाधिक संख्या में मतदान में हिस्सा लेंगे.

कहां भटक गई ई लइकियन भाई, लेट हो रहा है…

अरे भाई, ई लईकियन कहां भटक गईं… जरा देखिये भाई… लेट हो रहा है, दूर जाना है… पता नहीं काहे ई लइकियन को चुनाव का ड्यूटी दे दिया जाता है… सुरक्षा के लिए मतदान केंद्र रवाना होने के दौरान एक पुलिस अधिकारी महिला मतदानकर्मी के पीछे रह जाने के कारण चिड़चिड़ा रहे थे. दरअसल, जिला स्कूल के डिस्पैच सेंटर से मतदान सामग्री लेकर दो महिलाकर्मी एवं अन्य साथ ही निकले थे पर वाहन कोषांग के गेट तक पहुंचते-पहुंचते महिलाकर्मी पीछे रह गयी थी. हालांकि चंद मिनटों में वे दोनों महिलाएं भी पहुंच गयीं. कहां पीछे रह गयी थीं आपलोग… देर न हो रहा है… अरे साहब आप तो आगे-आगे चल दिए पर ई जो समनवा है, हाथ में उ 70 किलो से कौनो कम है का… भारी है, इसलिए देर हो गयी…

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