लोगों की मांग : पूर्णिया में ही हो बोर्ड का मुख्यालय, इस क्षेत्र के विशेषज्ञ बनें बोर्ड प्रमुख
सरकार बनने के बाद पूर्णिया में मखाना बोर्ड स्थापना की शुरू हो स्थलीय निर्माण कार्य
पूर्णिया. विधानसभा चुनाव से पहले मखाना बोर्ड स्थापना की अपूर्ण सूचना के सवाल पर संजीदा हुए पूर्णिया के लोग न केवल सवाल खड़ा करने लगे हैं बल्कि अपनी नई सरकार से पूर्णिया में मखाना बोर्ड स्थापित किए जाने की मांग भी करने लगे हैं. लोगों का कहना है कि राष्ट्रीय मखाना बोर्ड से संबंधित भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा 14 सितंबर, 2025 को जारी अधिसूचना में राष्ट्रीय मखाना बोर्ड से संबंधित तमाम महत्वपूर्ण पहलुओं का जिक्र है पर यह स्पष्ट नहीं है कि मखाना बोर्ड का मुख्यालय कहां होगा. इसके कारण कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है. पूर्णियावासी चाहतें कि इस पहलु का खुलासा करते हुए पूर्णिया में विधिवत मखाना बोर्ड स्थापित हो और इस परिक्षेत्र के विशेषज्ञों को ही इसके संचालन का दायित्व सौंपा जाए. याद रहे कि पिछले 15 सितंबर को पूर्णिया के शीशाबाड़ी में चुनाव पूर्व आयोजित जनसभा में पूर्णिया से मखाना बोर्ड की की शुरुआत की घोषणा कर गये थे जिससे इस इलाके में मखाना के उत्पादन, प्रोसेसिंग और निर्यात की नई संभावनाएं विकसित होने के साथ किसानों को सीधा लाभ मिलने की उम्मीद जगी थी. मगर, यदि कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को देखा जाए तो इसमें मखाना बोर्ड का मुख्यालय पूर्णिया में होगा, यह जिक्र नहीं आया है जिससे इस उत्पाद से जुड़े लोगों में बेचैनी है. यही वजह है कि बिहार में नई सरकार बनते ही मखाना बोर्ड स्थापना के लिए सार्थक पहल करने की मांग उठ रही है और इसके लिए जनप्रतिनिधियों का ध्यान भी आकृष्ठ किया जा रहा है.मखाना बोर्ड से विकसित होगी नई तकनीक
गौरतलब है कि मखाना बोर्ड की स्थापना से पूर्णिया-कोशी और आसपास के इलाकों में मखाना उत्पादन की नई तकनीक विकसित होगी. इससे न केवल पैदावार के साथ गुणवत्ता बढ़ जाएगी बल्कि इस इलाके को नई पहचान मिल सकती है. मखाना बोर्ड न केवल नए संसाधनों और प्रशिक्षण से मखाना की उपज और उसकी क्वालिटी में सुधार करेगा बल्कि किसानों को सीधे बाजार से जोड़ेगा, इससे बिचौलियों की भूमिका कम होगी और उत्पाद का सही एवं वास्तविक मूल्य भी मिल सकेगा. इतना ही नहीं, मखाना बोर्ड के जरिये किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों, आधुनिक बीज, सिंचाई प्रणाली और फसल प्रबंधन के प्रशिक्षण की भी व्यवसथा होगी. यह उम्मीद अभी भी की जा रही है कि बोर्ड की स्थापना से पूर्णिया समेत कोसी और सीमांचल न केवल मखाना का कटोरा बनेगा बल्कि देश को 70 फीसदी मखाना देने वाले किसानों के दिन भी बहुरेंगे.मखाना का बड़ा उत्पादक क्षेत्र है कोशी-पूर्णिया
यहां उल्लेख्य है कि बदलते दौर में पूर्णिया और कोशी का इलाका मखाना का बड़ा उत्पादक क्षेत्र बन गया है. जानकारों का मानना है कि बोर्ड की स्थापना के बाद आने वाले दिनों में पूर्णिया मखाना का बड़ा हब बन जाएगा. बोर्ड की स्थापना से किसानों को अनुदान और वित्तीय सहायता संबल देगी जिससे उत्पादन को प्रोत्साहन मिलेगा और निर्यात में भी वृद्धि होगी. जानकारों ने बताया कि अच्छी गुणवत्ता वाले मखाने की खेती से उपभोक्ताओं को भी बेस्ट क्वालिटी के मखाने मिलेंगे. मखाना बोर्ड होने से मखाना उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, जिससे मखाना इकोनॉमी मजबूत होगी और किसानों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आएगा क्योंकि किसान उत्पादन के साथ-साथ प्रसंस्करण, वैल्यू एडिशन व मार्केटिंग खुद कर सकेंगे.———————————
आंकड़ों में मखाना उत्पादन
2010 में नगण्य था पूर्णिया प्रमंडल में मखाना का उत्पादन
2015 में 2500 एकड़ में की गई मखाना की खेती2020 में सिर्फ पूर्णिया में 6500 हैक्टेयर में होने लगी मखाना की खेती
2024 में 10 हजार एकड़ में मखाना की खेती कर रहे 5658 किसान3232 हैक्टेयर में किशनगंज के किसान लगा रहे मखाना
——————————-मखाना बोर्ड से मिलेगा लाभ
मखाना की ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर दिया जाएगा जोरप्रशिक्षण के साथ मिलेगी अनुदान और वित्तीय सहायता
उत्पादन में होगी बढ़ोतरी, बढ़ेगी किसानों की आयमखाने का बढ़गा निर्यात, तो अर्थव्यवस्था में आएगी मजबूती
युवाओं के लिए नए रोजगार के अवसर बनेंगेकिसानों को मिलेगा मखाने का उचित मूल्य होगा आर्थिक सुधार
गुणवत्तापूर्ण मखाने की खेती से उपभोक्ताओं को मिलेगी बेस्ट क्वालिटीडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

