पूर्णिया. काॅमरेड अजीत सरकार सच्चे मायने में गरीबों के मसीहा थे. अपनी सादगी और बेबाकी के लिए मशहूर रहे अजीत दा ने अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी अपनी विचारधारा और सिद्धांतों से समझौता नही किया. हालांकि, इसकी कीमत उन्हें अपनी जान देकर चुकानी पड़ी. उन्होंने नापाक गठजोड़ के सामने घुटने टेकने की बजाय अपनी जान देना पसंद किया. वे पूर्णिया में गुंडाराज और आतंकराज के विरोध के प्रतीक थे. वे गरीबों, शोषितों और वंचितों के लिए हमेशा नायक के रूप में याद किये जायेंगे. उक्त बातें सांसद संतोष कुशवाहा ने शनिवार को कॉमरेड अजीत सरकार के शहादत दिवस पर आर एन साह चौक पर स्थित स्व सरकार के शहीद स्मारक पर श्रद्धा-सुमन अर्पित करने के बाद कही. कहा कि राजनीति में असहमति सामान्य बात है, लेकिन असहमति की परिणति हिंसा में हो, यह शर्मनाक है. अपराध की पाठशाला से मैट्रिक करने वाले जब राजनीति के महाविद्यालय में प्रवेश करेंगे तो लोकतंत्र की ऐसी ही दुर्गति होती है, इतिहास गवाह है. श्री कुशवाहा ने कहा कि अजीत दा इतिहास-पुरुष हैं और वे हमारे प्रेरणास्रोत भी हैं. कहा कि वे इस मौके पर संकल्प लेते हैं कि अजीत दा के पदचिह्नों पर चलते हुए उन सभी आसुरी शक्तियों के खिलाफ आवाज बुलंद करते रहेंगे जो पूर्णिया में अमन चैन, शांति और सद्भावना में खलल डालने की कोशिश करेगा. उन्होंने जिला प्रशासन से अजीत सरकार जी के स्मारक की घेराबंदी करवाने की मांग की. इस मौके पर महानगर जेडीयू अध्यक्ष अविनाश कुमार सिंह, प्रखंड प्रमुख रितेश कुमार, अविनाश कुशवाहा, सुशांत कुशवाहा, चंदन मजूमदार, प्रदीप मेहता आदि मौजूद थे.
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