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तीन दशकों के सियासी सफर में छठी बार जीत दर्ज कर सातवीं बार मंत्री बनीं लेशी सिंह

विधानसभा चुनाव

पूर्णिया. विधानसभा चुनाव में इस बार छठी बार रिकार्ड मतों से पूर्णिया के धमदाहा सीट से जीतने वाली लेशी सिंह अपने करीब तीन दशकों के सियासी सफर में सातवीं बार बिहार में मंत्री बनीं हैं. वे न केवल पूर्णिया बल्कि पूरे सीमांचल में जदयू की सबसे कद्दावर चेहरा हैं. इस बार वे पूरे बिहार में सर्वाधिक मत प्राप्त करने वाले विधायकों में दूसरे स्थान पर रहीं हैं. लेशी सिंह पहली और एकमात्र ऐसी नेत्री हैं जिन्होंने लगातार छठी बार धमदाहा में जीत हासिल की. इससे पहले लक्ष्मी नारायण सुधांशु लगातार चार बार जीते थे.इससे पहले श्रीमती सिंह सबसे पहले 2000 में समता पार्टी की टिकट से चुनाव लड़ीं और जीत कर आयीं. फिर उन्होंने जदयू प्रत्याशी के रुप में क्रमवार रुप से 2005, 2010, 2015 एवं 2020 में कुल पांच चुनाव जीत कर बिहार में अपनी अलग पहचान बनायी. समता पार्टी के कार्यकाल से ही श्रीमती सिंह की निष्ठा पार्टी के प्रति बरकरार रही है. अपने राजनीतिक सफर में वे सदैव मुख्यमंत्री के विश्वास पात्रों में एक रही हैं. सहयोगी दलों के नेताओं के साथ आम अवाम से भी उनका संबंध हमेशा बेहतर रहा है. धमदाहा के साथ-साथ पूरे जिले के विकास के प्रति उनका प्रयास उनकी लोकप्रियता का आधार रहा है. यही कारण है कि धमदाहा की जनता ने विपक्ष के तमाम समीकरणों को ध्वस्त कर लेशी सिंह को ताज पहनाया है.

————————-राजनीतिक सफरनामा

जनता से जुड़ कर बन गईं सुख-दुख का साथी

विधायक लेशी सिंह अपने पति मधुसूदन सिंह उर्फ बूटन सिंह की हत्या के बाद पहली बार 2000 में ग्रामीण परिवेश और घर की दहलीज लांघ कर राजनीति में आयीं और समता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंची. उस समय बिहार में राजद की सरकार थी. माहौल कुछ अलग था पर लेशी सिंह ने हिम्मत नहीं हारी और धमदाहा की जनता द्वारा दी गई जिम्मेवारी को चुनौती के रुप में स्वीकार कर विपरीत परिस्थितियों में अपनी पहचान बनायी. एक तरफ जहां वे अपने कर्तव्य के निर्वाह के प्रति सचेष्ट रहीं तो दूसरीओर सेवा भावना के जरिये जनता से जुड़ कर उनके सुख-दुख का साथी बन गईं. जनता से जुड़े रहने का नतीजा भी सामने आया. वर्ष 2010 में हुए चुनाव में वे जदयू के सिंबल पर चुनाव लड़ीं और राजद उम्मीदवार को पछाड़ कर फिर विधानसभा पहुंच गईं. इस बीच वे महिला आयोग की अध्यक्ष और समाज कल्याण व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री भी बनीं. उसके बाद से वे जदयू में हैं और लगातार चुनाव जीत रही हैं.

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क्षेत्र में बहु और बेटी बनकर करती रहीं काम

यह बड़ी खासियत रही है कि लेशी सिंह अपने क्षेत्र में जनता के बीच कभी नेता या विधायक बन कर नहीं रहीं. वे हमेशा अपने क्षेत्र में बहु और बेटी बनकर काम करती रहीं. उनके सरल व मृदु स्वभाव और सहज कार्यशैली ने जनता के दिलों में जगह बनायी जिससे वे तमाम समीकरण पीछे रह गये जो विपरीत धारा में चल रहे थे. धमदाहा में राजपूत की आबादी अपेक्षाकृत कम और मुस्लिम व यादव की बहुलता के बावजूद वे हमेशा जनता का हमदर्द बन कर रहीं जिससे विरोध में बनने वाले तमाम समीकरण ध्वस्त हो गये. अपने क्षेत्र की जनता से सीधा जुड़ाव उनका हमेशा बना रहा और क्षेत्र के विकास का प्रयास भी जारी रहा. कालांतर में हर घर से पारिवारिक जैसा रिश्ता बन गया.

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कब-कब बनीं मंत्री

11 मार्च 2014- नीतीश मंत्रिमंडल में बनीं उद्योग विभाग की मंत्री21 मार्च 2014 को जीतनराम मांझी मंत्रिमंडल में बनीं समाज कल्याण व आपदा मंत्रीं

फरवरी 2015 में नीतीश मंत्रिमंडल में बनीं समाज कल्याण एवं आपदा प्रबंधन मंत्रीपुन: 9 फरवरी 2021 को बनीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री

16 अगस्त 2022 में बनीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री16 मार्च 2024 में फिर बनीं खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की मंत्री

20 नवम्बर 2025 को फिर ली मंत्री पद की शपथ———————————

फोटो. 20 पूर्णिया 3- लेशी सिंह

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