Bihar Election Express: अखिलेश चंद्रा/सत्येंद्र सिन्हा, बनमनखी . प्रभात खबर का इलेक्शन एक्सप्रेस बुधवार को पूर्णिया जिले के बनमनखी विधानसभा क्षेत्र में पहुंचा. यहां उमस भरी गर्मी के बावजूद सुमरित उच्च विद्यालय परिसर में आयोजित चौपाल में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों और विभिन्न दलों के नेताओं व जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया. लोगों ने करीब डेढ़ दशक से लंबित जानकीनगर को प्रखंड बनाने और अस्पताल रोड के रेलवे क्रॉसिंग पर ओवरब्रिज निर्माण की मांग उठायी.
पलायन का मुद्दा जोर-शोर से उठाया
नागरिकों ने सड़क, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, भ्रष्टाचार और रोजगार के लिए लोगों का दूसरे प्रदेशों में हो रहे पलायन के मुद्दे पर नेताओं को घेरा. चीनी मिल के बंद होने से बढ़ी बेरोजगारी और किसानों की बदहाली जैसे मुद्दों पर खूब बहस हुई. यहां विपक्ष ने सत्ता पक्ष को जबरदस्त तरीके से घेरने की कोशिश की. अलबत्ता, सत्ता पक्ष से पहुंचे जनप्रतिनिधि ने जनता के सवालों का जवाब देकर उन्हें संतुष्ट करने की पूरी कोशिश की. लोगों ने कहा कि विकास के नाम पर वोट मांगे जाते हैं और सुनवाई सिर्फ खास लोगों की होती है. वोट डालने वाला आम मतदाता विकास में कहीं पीछे छूट जाता है या फिर उसे भुला दिया जाता है. जनता के सवाल इतने तीखे थे कि कई-कई बार नेता जी बेचैन होते भी दिखे.
विपक्ष के नेता भी सवालों में घिरे
चौपाल में अमूमन सभी दलों के नेता मंच पर मौजूद थे. इस दौरान कई बार तो वे आपस में भी उलझते दिखे. जनता द्वारा किये गये तीखे सवालों पर सत्ताधारी पक्ष के सथ-साथ विपक्ष के नेता भी घिरते दिखे. हालांकि जनता के सवालों पर नेताओं ने जवाब देकर उन्हें संतुष्ट करने की कोशिश की. लोगों ने कहा कि वर्ष 2008 में हुए परिसीमन में बीकोठी की पंचायतों को बनमनखी में शामिल कर लिया गया. इससे परेशानी यह हो रही है कि इसका अनुमंडल धमदाहा हो गया है और विधायक बनमनखी में रहते हैं. इससे उन्हें काफी परेशानी हो रही है.
बंद चीनी मिल का उठाया मुद्दा
चौपाल में आम लोगों ने खुलकर अपनी आवाज बुलंद की. टूटी सड़कों से लेकर युवाओं की बेरोजगारी तक हर मुद्दे पर जनता ने नेताओं से जवाब मांगा. जनता की ओर से यह आवाज बार-बार आती रही कि अब सिर्फ वादों से काम नहीं चलेगा. बनमनखी विधानसभा क्षेत्र की जनता ने रोजगार और इसके लिए युवाओं के पलायन का मुद्दा मुखर रूप से उठाया. लोगों ने कहा कि बनमनखी चीनी मिल कभी रोजगार का बड़ा स्रोत थी, लेकिन पिछले तीन दशकों से बंद पड़ी इस मिल ने स्थानीय युवाओं को पलायन के लिए मजबूर कर दिया. विकल्प के आश्वासन जरूर मिले, पर उम्मीदें अब तक धुमिल पड़ी हैं. जनता की ओर से सरकार पर सवालिया निशान खड़े किये गये और बीपीएससी द्वारा अयोग्य शिक्षकों की नियुक्ति की बात रखी गयी.

