Bihar Assembly Election 2025 News : पूर्णिया. विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत तो गर्म है ही, सट्टा बाजार में भी खूब गरमाहट है. हालांकि सट्टा पर कानूनी तौर पर प्रतिबंध है, पर इसके बावजूद करोड़ों का दांव खेला जा रहा है. राजस्थान व कोलकाता के दो बड़े सटोरियों द्वारा पूर्णिया समेत पूरे बिहार के लिए खेल खेला जा रहा है, जबकि लोकल स्तर पर अलग से दांव लगायक जा रहे हैं. यह माना जा रहा है चुनाव में चाहे जिस किसी की जीत हो या फिर जिसकी भी सरकार बने, सट्टे की सनक में यहां कई मालामाल, तो कई कंगाल होने वाले हैं. शहर के कारोबारियों का बड़ा तबका चुनाव में बनते-बिगड़ते समीकरण के हिसाब से सट्टे के गणित में उलझा हुआ है. गौरतलब है कि दो चरणों में होने वाले चुनाव का नतीजा 14 नवंबर को आना है पर इससे पहले राजनीतिक सरगर्मी के बीच अपने पर्सनल सर्वे के आधार पर सटोरिये दलों और उसके प्रत्याशियों का भाव तय कर रहे हैं. अहम तो यह है कि राजस्थान में बैठे सोटरिये को पता है कि पूर्णिया में किस जाति के कितने वोटर हैं और किसका वोट समीकरण के हिसाब से किस तरफ जाने वाला है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक सटोरिये ने बताया कि उनके लोग अमूमन हर जिले में हैं, जो सुबह-शाम के उतार-चढ़ाव की जानकारी दे रहे हैं. राजस्थान के सटोरिये ने सूबे में एनडीए की वापसी पर बड़ा दांव लगाया है, जबकि पूर्णिया के लिए एनडीए व महागठबंधन को लेकर भी बड़ा दांव खेला गया है. एक सटोरिये के मुताबिक बड़े बाजार में एक रुपये से कम का भाव वैसे दल या प्रत्याशियों पर लगाया गया है, जिसकी जीत की संभावना अधिक दिख रही है. सवा रुपये तक का दांव उन पर लगाया जा रहा है, जो जीत की सामान्य संभावना के दायरे में आ रहे हैं. दो रुपये और इससे अधिक का दांव अमूमन हारने वालों पर लगाया जा रहा है. लोकल स्तर पर सट्टे के भाव कुछ अलग तरह के हो रहे हैं. कहते हैं, भाव भले ही दो या एक रुपये बोल कर लगाये जाते हैं, पर इसकी रकम लाख में होती है. पूर्णिया के बाजार में कभी कहीं एनडीए का भाव तेज होता है तो कभी कहीं महागठबंधन के भाव चढ़ जाते हैं. दोनों के भाव में अमूमन हर रोज बढ़त-घटत हो रही है और सटोरिये उसी हिसाब से अपने दांव का उलट-फेर करते हैं.
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