इन्देश्वरी यादव, भवानीपुर . सौभाग्य व समृद्धि के प्रतीक महापर्व छठ में बांस के सूप का विशेष महत्व है. महादलित मल्लिक जाति का सूप बनाने का काम पुश्तैनी है. छठ महापर्व को लेकर एक माह पूर्व ही सूप बनाने में परिवार के बुजुर्गों के साथ-साथ बच्चे भी हाथ बंटाने का काम करते हैं. दुर्गापुर निवासी अर्जुन हरिजन, मिथुन हरिजन , रूबी देवी, प्रदीप हरिजन, वकील हरिजन, बिछो देवी, एवं रेणु देवी ने बताया कि छठ महापर्व को लेकर सूप, सुपती, छोटे -छोटे डालिया, छीपना आदि सामान बनाने का काम करते हैं. मिथुन बताते हैं कि पहले कम कीमत में बांस मिलता था .अब बांस की कीमत अधिक है जिससे सूप की कीमत अधिक हो गयी है. इधर, .आधुनिकता के इस दौर में बांस के सूप के अलावा पीतल के सूप का भी चलन बढ़ने लगा है. छठव्रतियों का कहना है कि बांस का सूप प्रतिवर्ष छठ पूजा के समय खरीदना पड़ता है.पीतल का सूप एक बार खरीदने से पूजा अर्चना के बाद उसे साफ कर रख दिया जाता है और दूसरे वर्ष भी उस सूप से पूजा अर्चना कर ली जाती है. ज्योतिषाचार्य सह आचार्य मृत्युंजय पाठक बताते हैं कि बांस के सूप का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि बांस के सूप से पूजा करने से वंश की बढ़ोतरी होती है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

