पूर्णिया : नवरतन हाता को कहने के लिए वीआइपी मुहल्ला कहा जाता है पर यहां तक पहुंचने में काफी फजीहत हो जाती है. इस मुहल्ले में मुख्य सड़क से जाने के लिए अलग-अलग छह सड़कें निकलती हैं जिसमें चार पर अस्तित्व का संकट है. इस मुहल्ले में न तो सड़क की बेहतर सुविधा है और न जल निकासी के लिए नाला की व्यवस्था सुलभ है.
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महज कहने को नवरतन है वीआइपी मोहल्ला वहां पहुंचने में हो जाती है लोगों की फजीहत
पूर्णिया : नवरतन हाता को कहने के लिए वीआइपी मुहल्ला कहा जाता है पर यहां तक पहुंचने में काफी फजीहत हो जाती है. इस मुहल्ले में मुख्य सड़क से जाने के लिए अलग-अलग छह सड़कें निकलती हैं जिसमें चार पर अस्तित्व का संकट है. इस मुहल्ले में न तो सड़क की बेहतर सुविधा है और […]
समस्याओं के बोझ तले दबे इस मुहल्ले का हर तबका परेशान है. पहले तो यहां के लोग उच्चाधिकारियों से शिकायत भी करते थे पर अब वह भी छोड़ दिया है मानो यही उनकी नियती है. दरअसल, शहर के पुराने और पॉश इलाका है नवरतन हाता जहां बिन बरसात भी सड़क पर पानी दिख जाता है.
इस मुहल्ले में पहले भी नाले बनाए गये थे पर उसका आउटसोर्सेस का ठिकाना नहीं. अभी फिर नाला का निर्माण किया जा रहा और घर-घर जल पहुंचाने के लिए पाइप भी बिछाए जा रहे हैं. पाइप बिछाने के लिए जो गड्ढे किये गये थे उसमें मिट्टी भरा जा रहा है जबकि स्थानीय नागरिक यहां उसके पक्कीकरण पर जोर दे रहे हैं. नागरिकों का कहना है कि अगर पाइप टूट गया तो एक नई परेशानी पैदा हो जाएगी.
यह विडम्बना है कि नागरिक सुविधा का नाम इस मुहल्ले में परेशानी के अलावा कुछ नही है. मुख्य सड़क से इस मुहल्ले को जोड़ने वाली अमूमन सभी सड़कें जर्जर हैं. बरसात के मौसम को छोड़ भी दें तो इन सड़कों पर सामान्य दिनों में भी चलना मुश्किल है. इस तरह से कुल मिलाकर आधा दर्जन से अधिक ऐसी सड़कें हैं जो पूरी तरह से जर्जर और गड्ढे में तब्दील हैं. इससे लोगों को निजात कब मिलेगा.
यह लोगों को समझ में नहीं आ रहा है. यहां रहने वाले मनीष पांडेय का कहना है कि इसके कारण मोहल्ले के लोगों को आने जाने में काफी परेशानी होती है. सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को होती है. स्कूल जाने में उनको सड़क तक आने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है.
कहते हैं स्थानीय नागरिक
यहां सिर्फ और सिर्फ समस्या है. वर्षों से नगर निगम को कहा जा रहा है पर निदान की सार्थक पहल नहीं हो सकी है. अभी तो किसी तरह जर्जर सड़क पर चल कर घर तक आ जाते हैं पर बरसात में इस मुहल्ले के अंदर आना टेढ़ी खीर है. निदान की पहल शीघ्र होनी चाहिए.
— अक्षय मिश्रा, स्थानीय नागरिक
सड़क इस मुहल्ले की सबसे बड़ी समस्या है. नाला निर्माण के पहले यह तय होना चाहिए की नाला का पानी मुहल्ले से निकल कर कहा और कैसे जायेगा. सिर्फ नाला निर्माण से समस्या का हल नहीं निकल सकता. समस्याओं के निदान के लिए विभागीय स्तर पर सर्वे किया जाना चाहिए.
— मनीष पांडेय, स्थानीय नागरिक
मुख्य सड़क से निकलने वाली सभी सड़कों का जीर्णोद्धार बहुत जरूरी है जबकि उसके बगल से नाला भी होना चाहिए क्योंकि बरसात में सड़कें तालाब में तब्दील हो जाती हैं. मुहल्ले के अंदर नियमित सफाई के साथ-साथ जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए.
— सोरव कश्यप, स्थानीय नागरिक
नवरतन को भले ही लोग वीआइपी मुहल्ला कहते हैं पर यहां इस तरह का कोई आकर्षण नहीं है. बरसात के मौसम में गंदगी, कीचड़, बदबू से यहां के लोग बेहाल रहते हैं. सड़क के अभाव के कारण तो पैदल चलना मुश्किल हो जाता है. शिकायतें की जाती हैं पर कहीं कोई असर नहीं.
— अजीत मन्ध्यान, स्थानीय नागरिक
शिकायतों का असर नहीं होने से हताशा का आलम : नवरतन हाता की समस्याएं वर्षों से बनी हुई हैं. ऐसा नहीं है कि यहां के नागरिकों ने कभी आवाज नहीं उठायी. इस मुहल्ले में लगभग पांच सौ घर हैं और हजारों की संख्या में लोग निवास करते हैं. यहां चिकित्सक, इंजीनियर, प्रोफेसर समेत अन्य विभागों में अधिकारी और कर्मचारी बड़ी संख्या में रहते हैं.
उद्यमी से लेकर व्यवसायी तक का निवास स्थल इस मुहल्ले में है. यही वजह है कि सभी लोगों ने अपने-अपने तरीके से अधिकारियों का ध्यान कई-कई बार आकृष्ट कराया.
नगर निगम और जिला प्रशासन के अधिकारियों तक भी समस्याएं पहुंचायी गयी. मगर कोई असर नहीं हुआ जिससे नागरिकों के बीच हताशा का आलम है. हालांकि कई वर्षों के बाद नाला और घर-घर जल पहुंचाने का काम शुरू किया गया पर इसका काम भी काफी धीमी गती से हो रहा है.
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