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अब छौंक व तड़के पर भी महंगाई की मार, रसोई से गायब हो रहा है पंचफोरना

पूर्णिया : जरा सोचिए, अगर खाने में छौंक या तड़के न हो तो क्या हो? जाहिर सी बात है कि खाना बेमजा हो जायेगा. जी हां, आप इसके लिए तैयार हो जाइए. अब छौंक पर भी महंगाई की मार पड़ने लगी है. लिहाजा पंच फोरन रसोई से गायब होती जा रही है. अपने यहां रसोई […]

पूर्णिया : जरा सोचिए, अगर खाने में छौंक या तड़के न हो तो क्या हो? जाहिर सी बात है कि खाना बेमजा हो जायेगा. जी हां, आप इसके लिए तैयार हो जाइए. अब छौंक पर भी महंगाई की मार पड़ने लगी है. लिहाजा पंच फोरन रसोई से गायब होती जा रही है. अपने यहां रसोई में कोई भी व्यंजन पंच फोरन के बिना नहीं बनता. यही वजह है कि छौंक या तड़के का भारतीय खानपान में विशेष महत्व रखता है.

यह न केवल व्यंजनों को नया फ्लेवर देता है बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी फायदेमंद है. पिछले एक- दो महीने से इसपर भी ग्रहण लगता जा रहा है. गृहणियां बताती हैं कि पहले हरी सब्जियों के भाव चढ़े. फिर प्याज और अब पंच फोरन पर भी आफत आ गई. हाल के महीने में भी इनके भाव भी चढ़ने लगे हैं. दरअसल, पंच फोरन पांच मसालों से मिलकर बनता है.
इसमें मुख्यतया जीरा, मेथी, अजवायन, हिंग और मंगरैला का बराबर मिश्रण होता है. जब इन मिश्रणों को सरसों तेल में डालकर सब्जी या अन्य चीजों को छौंक लगायी जाये तो उसका स्वाद कुछ अलग ही होता है. गृहणियां बताती हैं कि खुदरा बाजार में सरसों पीला जहां सौ रुपये प्रतिकिलो बिक रहा है वहीं काला सरसों 80 रुपये से कम नहीं है.
मेथी 120 रुपये, अजमायन 320 रुपये, जीरा 240 रुपये और हिंग 1500 रुपये किलो बिक रहा है. जबसे इन मसालों के दाम बढ़े हैं तबसे सब्जी में लोग या तो छौंक लगाना भूल गये हैं या फिर पांच में से एक- दो फोरन ही मुश्किल से पड़ रहे हैं. आमतौर पर सर्दी के मौसम में लहसून की खपत अधिक होती है पर लहसून का भाव भी चढ़ते-चढ़ते 200 के पार चला गया.
सर्दी में पसीना उतार रहे हरी सब्जियों के दाम
सर्दी के इस मौसम में हरी सब्जियों के दाम लोगों का पसीना उतार रहा है. हालांकि बीच के दिनों में उछाल खाते सब्जियों के भाव के लुढ़कने की गुंजाइश बनी थी पर भाव जस के तस रह गये. आलम यह है कि 40 रुपये प्रति किलो बिकने वाला बैगन 60 रुपये प्रति किलो बिक रहा है. यही हाल फूल गोभी का है. 100 से 120 रुपये किलो की दर से बिक रहा है.
आलू में 4 रुपये प्रति किलो की दर से महंगा हो गया है. एक हफ्ते पहले आलू 16 रुपये किलो की दर से बिक रहा था. लेकिन अभी पुराना 24 और नया आलू 40 से 50 रुपये किलो की दर से बिक रहा है. टमाटर का दाम अभी 60 से 80 रुपये है जबकि करेला पिछले हफ्ते 60 तक चढ़ गया है.
मुर्गे के भाव बिक रहे प्याज
बाजार में प्याज ब्यालर मुर्गी के भाव बिक रहा है. जहां चिकेन 120 किलो बिक रहा है वहीं खुदरा बाजार में प्याज का भाव 120 रुपये तक पहुंच गया है. यही वजह है कि बदलते दौर में मटन और चिकेन का स्वाद भी बिगड़ने लगा है.
गृहिणियों का कहना है कि एक किलो चिकेन बनाने में कम से कम आधा किलो प्याज की जरूरत होती है. इसके अलावा अन्य मसाला का भी उपयोग किया जाता है. परेशानी यह है कि अब मसाला भी सस्ता नहीं रह गया. चिकेन की बराबरी कर रहे प्याज का दाम सर्दी के इस मौसम में हर किसी को खल रहा है. कई गृहिणियों ने बताया कि प्याज के तेज भाव के कारण घरों से मटन व चिकेन को बजट से हटा दिया गया है.

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