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अब शहरी क्षेत्र बना डेंगू का सॉफ्ट टारगेट, नींद से नहीं जगे हुक्मरान

पूर्णिया : सावधान, डेंगू ने पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र को अपना निशाना बना लिया है. शहर के दो स्थानों को टारगेट किया है.जिसमें गुलाबबाग व आश्रम रोड शामिल है. इन्हीं दो स्थानों से डेंगू के दो नये मरीज मिले हैं. संभावना है कि डेंगू कई नये इलाके को भी टारगेट कर सकते हैं.शहर में डेंगू […]

पूर्णिया : सावधान, डेंगू ने पूर्णिया नगर निगम क्षेत्र को अपना निशाना बना लिया है. शहर के दो स्थानों को टारगेट किया है.जिसमें गुलाबबाग व आश्रम रोड शामिल है. इन्हीं दो स्थानों से डेंगू के दो नये मरीज मिले हैं. संभावना है कि डेंगू कई नये इलाके को भी टारगेट कर सकते हैं.शहर में डेंगू के मरीज मिलने के बाद लोगों में दहशत है. इसके बावजूद नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग अब तक कुंभकरणी निंद्रा में सोयी हुई है. डेंगू के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए विभाग ने चार बेड का डेंगू वार्ड तैयार किया है,

लेकिन वहां डेंगू से लड़ने के कोई साधन नाकाफी है.लिहाजा सदर अस्पताल डेंगू मरीजों का रेफरल सेंटर बन कर रह गया है.वहीं दूसरी ओर यहां स्वास्थ्य मंत्री के द्वारा डेंगू मरीजों के इलाज के लिए ब्लड सेपरेटर बनाने की घोषणा की थी. वह घोषणा भी महज घोषणा बन कर रह गयी.ऐसे में स्वयं की सावधानी ही डेंगू पॉजिटीव होने से बचा सकता है.

घोषणा दर घोषणा के बाद भी नहीं लगा ब्लड सेपरेटर
डॉक्टरों के अनुसार आम लोगों में प्लेटलेट्स की संख्या डेढ़ लाख से साढ़े चार लाख पाया जाता है. डेंगू पॉजिटिव मरीजों में सबसे पहले प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है. जो घटकर लगभग पचास हजार से भी कम हो जाती है. ऐसे में मरीजों को प्लेटलेट्स देने की आवश्यकता होती है. लेकिन पूर्वोत्तर बिहार के सबसे बड़े अस्पताल में प्लेटलेट्स की व्यवस्था नहीं है.लिहाजा मरीजों को पटना आदि हाइयर सेंटर रेफर कर दिया जाता है. ऐसा होने से गरीब मरीजों की मुश्किलें और भी बढ़ जाती है. वैसे भारतीय रेडक्रॉस सोसाइटी में ब्लड सेपरेटर लगाने की घोषणा वर्षों पूर्व की गयी थी. जिसके तहत रेडक्रॉस के बिल्डिंग के ऊपरी मंजिल को खाली भी कराया गया था. किंतु विडंबना यह है कि आज तक घोषणा के अनुरूप ब्लड सेपरेटर की व्यवस्था नहीं हो पायी है.इसके बाद नये सिरे से राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने विधायक विजय खेमका की मांग पर सदर अस्पताल में ब्लड सेपरेटर लगाने की घोषणा की थी.लेकिन वह घोषणा भी टॉय-टाय फिस्स हो कर रह गयी.
समय रहते बरतें सावधानी,नहीं तो बनेंगे बीमारियों का ग्रास
डा.ए अहद ने सलाह दिया कि मच्छरों से बचाव करने के साथ ही शुद्ध पानी का सेवन करें। खुले, सड़े-गले व बासी खाद्य सामग्रियों के सेवन से बचें. बाल रोग विशेषज्ञ डा.सुभाष कुमार सिंह ने कहा कि इस मौसम में जलजनित व मच्छरजनित रोगों का खतरा अधिक होता है.डायरिया, वायरल बुखार के साथ ही सबसे अधिक खतरनाक जल जनित मस्तिष्क ज्वर होता है.इसमें थोड़ी सी लापरवाही से बच्चों की जान चली जाती है. डा.सिंह ने सलाह दिया कि बच्चों का विशेष ध्यान देने की जरूरत है. उन्हें बोतल से दूध न पिलाएं.यदि बोतल से बाहर का ही दूध पिलाना है तो इस मौसम में उसे प्रति दो घंटे पर खौलाया जाना चाहिए.
बाहर की खुली चीजों का खाने न दें.खान-पान में साफ-सफाई का ध्यान दें.भोजन करने से पूर्व हाथ को साबुन से धुलवाएं.बच्चों को शुद्ध पानी पिलाएं.यदि बच्चे को 6 घंटे तक पेशाब न हो, चमड़ी सिकुड़ रही हो और डिहाइड्रेशन के कारण निर्जलीकरण हो रहा हो तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है.क्योंकि इससे गुर्दा खराब होने की संभावना अधिक होती है और बच्चों को बचा पाना मुश्किल हो जाता है.
डेंगू वार्ड बना मच्छरों का आशियाना
सदर अस्पताल में भर्ती डेंगू के मरीज इन दिनों दोहरा दुख झेलने को मजबूर हैं. यहां बीते एक सप्ताह में तीन डेंगू के मरीज भर्ती हुए हैं, लेकिन इनकी बीमारी डेंगू से ज्यादा यहां के संक्रामक वार्ड की हालत देखकर बढ़ गई है.सदर अस्पताल का संक्रामक वार्ड और उसके बाहर का इलाका खुद ही संक्रामक बीमारियों का घर बना हुआ है. यहां मच्छरों के बसेरे गंदगी और झाड़ियों के बीच मौजूद हैं. ऐसे में इस वार्ड में भर्ती डेंगू के मरीज और उनके परिजन काफी परेशानी और नारकीय हालत झेल रहे हैं. डेंग मरीजों और परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन से व्यवस्था में सुधार लाने की मांग की है.यहां भर्ती डेंगू के मरीज प्रवीण और ताहिर के परिजनों ने बताया कि संक्रामक वार्ड मच्छरों का वसेरा बन गया है.इलाज के लिए यहां पहुंचे थे.यहां मच्छरों का प्रकोप इस कदर हावी है कि यदि यहां एक रात और ठहर जाते तो निश्चित ही परिवार के किसी न किसी सदस्य को कोई न कोई मच्छर जनित रोग हो जाता.गौरतलब है कि वार्ड के चारो ओर जंगलों का साम्राज्य है.पास ही में जल जमाव के कई अवयव भी मौजूद है.जिससे यहां मच्छरों का पनपना लाजिमी है.
यहां ब्लड सेपरेटर नहीं होने के कारण मरीजों का इलाज करने में परेशानी हो रही है. शीघ्र ही सदर अस्पताल में ब्लड सेपरेटर लगाया जायेगा.
डॉ जी के घोष,अधीक्षक, सदर अस्पताल
जलजमाव से परेशानी
बारिश के मौसम में जल जनित रोगों का खतरा बढ़ जाता है.अस्पतालों में डायरिया, मलेरिया, टाइफाइड आदि रोगों से पीड़ितों की संख्या बढ़ रही है.थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है.दूषित पानी के सेवन से गैस्ट्रो इन्टेराइटिस का खतरा बढ़ जाता है.यदि समय रहते सावधानी न बरती जाय तो रोगी मौत के मुंह में भी समा सकता है. इस रोग में शुरुआती दौर में उल्टी और दस्त होती है. निर्जलीकरण के चलते जान को भी खतरा होता है.

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