पूर्णिया : शहर में 500 से अधिक पैथोलॉजी संचालित है. जिसमें मात्र 30 पैथोलॉजी सेंटर निबंधित हैं. अन्य बिना निबंधित के भी कई पैथोलॉजी सेंटर हैं, जो मानक के तहत संचालित है. मानक के तहत संचालित पैथोलॉजियों में डॉक्टर, लैब तकनीशियन सभी शामिल है और जांच का उपकरण भी उपलब्ध है. लेकिन ज्यादातर पैथोलॉजी मानकविहीन है. ऐसे पैथोलॉजी में डॉक्टर, लैब तकनीशियन और जांच के लिए उपकरण का भी कमी है. जिलाधिकारी प्रदीप कुमार झा ने ऐसे फर्जी पैथोलॉजी के ऊपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. जिससे फर्जी पैथोलॉजी संचालकों में हड़कंप मचा हुआ है.
जिलाधिकारी के आदेश पर 25 जुलाई को लाइन बाजार के 54 पैथोलॉजी सेंटरों पर जांच टीम ने छापेमारी कर दिया. जांच टीम को आने की खबर सुनते ही कई सेंटर के संचालकों ने शटर बंद कर भाग गये. छापेमारी में 44 सेंटरों से कागजात मांगा गया, जिसमें 23 सेंटर के संचालकों ने निर्धारित समय पर कोई जवाब नहीं दिया. सिविल सर्जन ने ऐसे भगोड़ा पैथोलॉजियों का लिस्ट जिला पदाधिकारी के समक्ष कार्रवाई के लिए भेज दिया है. सूत्र ने बताया कि भगोड़ा 23 सेंटर के संचालक के ऊपर एफआइआर दर्ज होगी और फिर इन भगोड़े संचालकों को गिरफ्तार कर कानूनी कार्रवाई की जायेगी. यह खबर सुन कर फरारी संचालकों में हड़कंप मच गया है. दागी और फर्जी पैथोलॉजी संचालक पटाने लगे हैं डॉक्टरों को :
जिलाधिकारी के आदेश से लाइन बाजार में संचालित पैथोलॉजी सेंटरों पर छापेमारी के बाद फरार और फर्जी पैथोलॉजी संचालकों ने कानून की गिरफ्त से बचने और अपना गोरखधंधा फिर से शुरू करने के लिए नया तरीका अपनाया है. इन सेंटरों के संचालक ने शहर में डिग्री प्राप्त डॉक्टरों के तलाश में जुट गया है. डॉक्टरों को आकर्षित करने के लिए मुंहमांगा रकम देने के लिए प्रयास किया जा रहा है. जिन डॉक्टरों का क्लिनिक में मरीज कम आते हैं,
उन डॉक्टरों के द्वारा हां भी भर देने की खबर है. सूत्र बताते हैं कि अधिकतर डॉक्टरों ने पैथोलॉजी अपने नाम से निबंधन करने से इनकार कर दिया है. बताया जा रहा है कि फर्जी पैथोलॉजी वाले डॉक्टरों को पटाने में ताबड़तोड़ मेहनत करने में जुटा हुआ है. वहीं ऐसे फर्जीगिरी कर निबंधित कराने वाले पैथोलॉजी सेंटरों के ऊपर अधिकारियों की पैनी नजर टिकी हुई है. हर गतिविधियों पर विचार किया जा रहा है.