संवाददाता, पटना वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा है. इस गीत ने देश को एक सूत्र में बांधकर स्वतंत्रता की ज्योति जगायी. ये बातें बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा ने संबोधन में कही. भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ऐतिहासिक धरोहर ‘वंदे मातरम’ गीत के 150 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य बोर्ड के सभागार में शुक्रवार को सामूहिक गान कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष डॉ मृत्युंजय कुमार झा ने की. इस ऐतिहासिक अवसर पर बोर्ड के सचिव नीरज कुमार, शिक्षकगण व कर्मचारियों ने ‘वंदे मातरम”” का सामूहिक गान किया. इससे पूरा सभागार राष्ट्रभक्ति की सुमधुर भावना से गूंज उठा. इसके बाद सभी ने इस गीत के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रभक्तिपूर्ण महत्व पर अपने विचार रखे. झा ने कहा कि संस्कृत शिक्षा बोर्ड की यह जिम्मेदारी है कि वह युवा पीढ़ी को राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़े और सांस्कृतिक चेतना को सशक्त बनाये. उन्होंने यह भी कहा कि संस्कृत भारत की सांस्कृतिक धारा की धुरी है और इसी के माध्यम से राष्ट्र भाव को दृढ़ता से स्थापित किया जा सकता है. कार्यक्रम का संचालन बोर्ड सचिव नीरज कुमार ने किया,जबकि भवनाथ झा ने समापन पर धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया. इस समारोह में बोर्ड के अधिकारियों, शिक्षकों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति रही.
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