संवाददाता, पटना देश के सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को अब यूपीआइ (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से जोड़ना अनिवार्य कर दिया गया है. यूजीसी ने राज्यों और विश्वविद्यालयों को पत्र लिखकर यह निर्देश जारी किया है. यूजीसी सचिव प्रो मनीष जोशी के अनुसार, यह कदम डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने और छात्रों को अधिक पारदर्शी और सरल भुगतान विकल्प देने के उद्देश्य से उठाया गया है. यूपीआइ के माध्यम से छात्र अब पांच लाख रुपये तक का भुगतान कर सकेंगे. अब तक कई शैक्षणिक संस्थानों में यूपीआइ से भुगतान की सुविधा नहीं थी. इससे छात्रों को भुगतान में परेशानी होती थी, लेकिन अब शुल्क जमा करने से लेकर अन्य वित्तीय लेनदेन तक सब कुछ यूपीआइ के जरिये किया जा सकेगा. यूजीसी ने कहा है कि यह पहल भारत सरकार के डिजिटल इंडिया मिशन को भी मजबूती देगी और आर्थिक रूप से पारदर्शी व्यवस्था बनायेगी. इसके तहत छात्र ड्राफ्ट, चेक आदि की जगह सीधे अपने मोबाइल या अन्य डिजिटल साधनों से भुगतान कर सकेंगे. इस संबंध में विस्तृत जानकारी यूजीसी की वेबसाइट पर उपलब्ध है. अभी छात्र डिमांड ड्राफ्ट, चेक, नेटबैकिंग के माध्यम से पेमेंट करते हैं, जिसमें देरी होती है. यूपीआइ की बढ़ती लोकप्रियता के मद्देनजर, शैक्षणिक सेवाओं के लिए यूपीआइ लेनदेन की सीमा बढ़ाकर पांच लाख रुपये तक कर दी गयी है. अभी तक एक लाख रुपये तक सीमा निर्धारित थी. राज्य में शिक्षण संस्थानों ने अभी तक यूपीआइ को भुगतान विकल्प में शामिल नहीं किया था. लेकिन वर्ष 2025 से इसे अनिवार्य किया जा रहा है. यूजीसी ने सभी राज्यों और विश्वविद्यालयों को लिखे पत्र में कहा है कि अभिभावकों को भुगतान के लिए यूपीआइ का विकल्प देना जरूरी होगा. संस्थानों से अनुरोध किया गया है कि वे ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह से लेनदेन के लिए यूपीआइ और यूपीआइ क्यूआर भुगतान सुविधाएं उपलब्ध करावानी होंगी. संस्थान किसी भी तकनीकी सहायता के लिए भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआइ) को इमेल के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं.
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