Train Coach Restaurant Bihar: भारतीय रेलवे अब सिर्फ यात्रा का साधन नहीं, बल्कि यात्रियों को नए तरह के अनुभव देने की दिशा में लगातार कदम बढ़ा रहा है. इसी कड़ी में बिहार के सात रेलवे स्टेशनों पर पुराने ट्रेन कोच को लग्जरी रेस्टोरेंट में बदला जाएगा. इनमें ग्राहकों को महाराजा एक्सप्रेस जैसी प्रीमियम ट्रेनों वाला एहसास होगा.
सबसे पहले सहरसा स्टेशन पर इसका टेंडर फाइनल हो गया है. यहां गरीब रथ एक्सप्रेस का पुराना कोच लग्जरी रेस्टोरेंट में बदला जा रहा है. वहीं दरभंगा, समस्तीपुर, रक्सौल, नरकटियागंज, मोतिहारी और बेतिया स्टेशन पर भी जल्द ऐसी सुविधा मिलने वाली है.
सहरसा से होगी शुरुआत
सहरसा रेलवे स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत नया भवन मिल रहा है. इसी परिसर में वातानुकूलित रेल कोच रेस्टोरेंट की शुरुआत की जाएगी. इसके लिए पुराने गरीब रथ एक्सप्रेस के कोच का उपयोग किया जा रहा है. रेलवे ने इस रेस्टोरेंट को सात साल के लिए आवंटित कर दिया है. इससे रेलवे को करीब 42 लाख रुपये का राजस्व मिलेगा.
रेलवे का उद्देश्य है कि यात्रियों को सामान्य खाने-पीने की जगह से हटकर एक अनूठा अनुभव मिले. इन कोच रेस्टोरेंट में शाही इंटीरियर, लोकल फ्लेवर और आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी. यहां शाकाहारी और मांसाहारी व्यंजन तैयार करने के लिए अलग-अलग रसोई होंगी. मुफ्त वाई-फाई की सुविधा होगी. क्षेत्रीय व्यंजन और मिठाइयों को खास जगह दी जाएगी.
कोच रेस्टोरेंट का शाही लुक
इन रेस्टोरेंट्स को बाहर से ट्रेन कोच की तरह रखा जाएगा ताकि रेलवे की पहचान बनी रहे. लेकिन अंदर कदम रखते ही ग्राहक को शाही फीलिंग मिलेगी. इंटीरियर इस तरह डिजाइन होगा कि ग्राहक को महाराजा एक्सप्रेस जैसी लग्जरी ट्रेन में बैठने का एहसास होगा.
खास बात यह भी है कि यहां भोजन करने वाले लोग केवल खाने तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि उन्हें एक विजुअल अनुभव भी मिलेगा. रेस्टोरेंट के अंदर स्क्रीन पर बिहार के ऐतिहासिक धरोहरों और रेलवे के गौरवशाली सफर से जुड़े वीडियो चलते रहेंगे.
सिर्फ स्वाद नहीं, संस्कृति भी
रेलवे का फोकस केवल यात्रियों को स्वादिष्ट भोजन परोसने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके जरिए बिहार की संस्कृति और खानपान की झलक भी पेश की जाएगी. दरभंगा में कोच रेस्टोरेंट खुलने पर मिथिला पेंटिंग और स्थानीय व्यंजन मेन्यू का हिस्सा होंगे.
मोतिहारी और बेतिया के रेस्टोरेंट में चंपारण का मशहूर मटन और मिठाइयां होंगी. समस्तीपुर और नरकटियागंज में लोकल स्वाद और क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा दिया जाएगा.
रेलवे को होगा फायदा
यह योजना सिर्फ यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि रेलवे के लिए नॉन-फेयर रेवेन्यू का बड़ा जरिया भी बनेगी. रेलवे को इसके जरिए करोड़ों रुपये का अतिरिक्त राजस्व मिलने की उम्मीद है. विशेषज्ञ मानते हैं कि स्टेशन परिसर में लग्जरी रेस्टोरेंट का मॉडल यात्रियों के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी आकर्षित करेगा.
रेल कोच रेस्टोरेंट से सीधे तौर पर स्थानीय रोजगार को भी बढ़ावा मिलेगा. रेस्टोरेंट चलाने के लिए शेफ, वेटर, सफाई कर्मचारी, सप्लायर और मैनेजर की आवश्यकता होगी. इस तरह आसपास के युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे.
रेलवे स्टेशनों पर अक्सर यात्रियों को गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित भोजन की दिक्कत होती है. बाहर के होटलों या ढाबों पर निर्भर रहना उनकी मजबूरी होती है. कोच रेस्टोरेंट इस कमी को दूर करेगा. यात्री न केवल स्वादिष्ट भोजन कर सकेंगे, बल्कि एयर-कंडीशन माहौल में बैठकर आराम भी कर पाएंगे.

