Tej Pratap Yadav: सीतामढ़ी की चुनावी सभा में जब भीड़ ने “जय श्रीराम” के नारे लगाए तो पल भर में माहौल बदल गया. मंच पर मौजूद तेज प्रताप यादव गुस्से में दिखे, लेकिन उनका जवाब सुनकर हर कोई चौंक गया. लालू यादव के बड़े बेटे ने न केवल नारों को सुधार दिया, बल्कि मिट्टी माथे से लगाकर यह संदेश भी दिया कि जानकी की धरती पर नारा “जय सियाराम” ही होना चाहिए. इस भावनात्मक अंदाज़ ने विरोधियों को खामोश और समर्थकों को और जोशीला बना दिया.
‘जय श्रीराम’ पर क्यों भड़के तेज प्रताप?
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) से बाहर किए जाने और परिवार से बढ़ती दूरी के बाद तेज प्रताप यादव अब अपनी नई पार्टी जनशक्ति जनता दल (JJD) के बैनर तले चुनावी राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं. इसी क्रम में वे सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर पहुंचे.
सभा के दौरान कुछ लोग जोश में आकर जोर-जोर से “जय श्रीराम” के नारे लगाने लगे. तभी तेज प्रताप ने माइक संभाला और कहा –
गलत किया आपने. सिर्फ जय श्रीराम नहीं, नारा जय सियाराम होना चाहिए. यह जानकी की धरती है.
उनका यह बयान सुनते ही सभा में सन्नाटा छा गया और फिर भीड़ तालियों से गूंज उठी.
वायरल हुआ बयान, पटना तक गूंज
रैली का यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया. लोग इस पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. कुछ इसे तेज प्रताप की राजनीति में परिपक्वता का संकेत बता रहे हैं, तो कुछ इसे महज चुनावी स्टंट मान रहे हैं.
हालांकि, इतना तय है कि तेज प्रताप यादव ने ‘जय श्रीराम बनाम जय सियाराम’ की बहस को एक नया मोड़ दे दिया है और यह आने वाले दिनों में चुनावी विमर्श का हिस्सा बनेगा.
मिट्टी माथे से लगाकर दी मिसाल
तेज प्रताप यहीं नहीं रुके. उन्होंने सभा के बीच में मिट्टी उठाई और उसे अपने माथे से लगाते हुए कहा – यह जो मिट्टी है, यह माँ धरती की जननी है. इस मिट्टी को कोई नेता मंच से माथे पर नहीं लगाता, लेकिन हम लगाते हैं.
इस भावनात्मक प्रदर्शन ने भीड़ को और प्रभावित किया. सीतामढ़ी को माता सीता की जन्मभूमि माना जाता है. ऐसे में ‘जय सियाराम’ का नारा बुलवाकर तेज प्रताप ने धार्मिक आस्था और स्थानीय गौरव दोनों को जोड़ने की कोशिश की.
विरोधियों को चुप और समर्थकों को उत्साहित किया
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि तेज प्रताप का यह बयान महज नाराजगी नहीं, बल्कि एक सोचा-समझा सियासी दांव है. बिहार की राजनीति में हिंदुत्व बनाम सामाजिक न्याय की बहस अक्सर छिड़ती रही है. ऐसे में तेज प्रताप ने राम के साथ सीता का नाम जोड़कर न केवल अपनी अलग पहचान बनाई, बल्कि विरोधियों को भी चुप करा दिया. उनके समर्थक इस कदम को “धार्मिक आस्था और सामाजिक न्याय के बीच संतुलन” बताकर सराह रहे हैं.
‘सोना का चिड़िया’ बनाने का वादा
सभा के दौरान तेज प्रताप ने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल के लिए समर्थन की अपील भी की. उन्होंने कहा कि अगर लोग सही मायने में परिवर्तन चाहते हैं तो उन्हें उनकी पार्टी को आशीर्वाद देना होगा.
तेज प्रताप ने ऐलान किया –
हम शिक्षा के बल पर बिहार को फिर से सोना का चिड़िया बनाएंगे. नया सवेरा आएगा, सामाजिक न्याय जमीन पर उतरेगा. इस वादे ने उनके भाषण को और धार दी और समर्थकों को उम्मीद का नया आधार.
बिहार की राजनीति में नई हलचल
लालू यादव के बड़े बेटे का यह बयान पटना से लेकर दिल्ली तक सुर्खियां बटोर रहा है. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि तेज प्रताप अपने पिता की तरह सामाजिक न्याय की राजनीति को धर्म और संस्कृति की आस्था के साथ मिलाकर देखने की कोशिश कर रहे हैं.
उनकी यह रणनीति उन्हें भीड़ में अलग पहचान दिला सकती है, लेकिन यह कितनी सफल होगी, यह विधानसभा चुनाव तय करेगा.
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