संवाददाता, पटना विधानसभा में तृतीय अनुपूरक व्यय की अनुदान मांग पर हुए वाद-विवाद के दौरान विपक्ष सदस्यों द्वारा शिक्षक नियुक्ति का श्रेय लिए जाने पर शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि सब जानते हैं कि शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया मुख्यमंत्री की सहमति से तत्कालीन शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के कार्यकाल में शुरू हुई थी. उन्होंने राजद कार्यकाल से तुलना करते हुए कहा कि 2005 से पहले मात्र सूबे में मात्र डेढ़ लाख शिक्षक थे, जिनकी संख्या अब पांच लाख को पार कर गयी है. शिक्षा विभाग का बजट भी 4000 करोड़ रुपये से बढ़ कर 60 हजार करोड़ रुपये से अधिक का हो गया है. यह बिहार सरकार के कुल बजट का करीब 20 फीसदी है. उन्होंने कहा कि राज्य की कुल साक्षरता दर 2004 में 47.55 फीसदी के मुकाबले 2023 में बढ़ कर 80 फीसदी हो गयी हैं. वहीं, महिलाओं की साक्षरता दर 24 फीसदी से बढ़ कर 74 फीसदी हो गयी है. शिक्षा मंत्री ने बताया कि आज बिहार में कुल 23 विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 15 सरकारी जबकि आठ निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालय हैं. उन्होंने प्रगति यात्रा में मुख्यमंत्री द्वारा नौ नये डिग्री कॉलेज खोले जाने तथा बजट में शेष बचे प्रखंडों में डिग्री कॉलेज स्थापित किए जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि इस पर जल्द काम शुरू हो जायेगा. उन्होंने बताया कि पहले आधारभूत सरंचनाओं की भी भारी कमी थी. सिर्फ इस बार 1580 अतिरिक्त वर्ग कक्ष बनाये गये, जबकि 244 नये विद्यालय भवनों का निर्माण कराया गया. विद्यालयों की छोटी-मोटी समस्याओं को दूर करने के लिए प्रधानाध्यापकों को 50 हजार रुपये तक खर्च किए जाने का अधिकार दिया गया है. इसके अतिरिक्त विकास का कोई भी कार्य संबंधित जिलाधिकारी या विभाग के माध्यम से कराया जायेगा. शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी व निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की संख्या का भी पता लगाया जा रहा है. इसके तहत सरकारी स्कूलों के 1.55 करोड़ बच्चों की आधार सीडिंग पूरी कर ली गयी है. वहीं, निजी स्कूलों में भी यह कार्य किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि विधानसभा के सभी सदस्यों व मंत्रियों से 10-10 स्कूलों के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव मांगा गया था. इनमें 107 सदस्यों से मिले प्रस्ताव के आधार पर 563 स्कूलों का जीर्णोद्धार पूरा कर लिया गया है, जबकि शेष का जीर्णोद्धार भी जल्द पूरा करा लिया जायेगा. तृतीय अनुपूरक व्यय विवरणी में सम्मिलित शिक्षा विभाग की अनुदान मांग पर हुए वाद-विवाद में अख्तरुल इस्लाम शाहीन, प्रमोद कुमार, मो इसराइल मंसूरी, ललित नारायण मंडल, मनोहर कुमार, उमाकांत सिंह, संदीप सौरभ, प्रफुल्ल कुमार मांझी, अजय कुमार, सूर्यकांत पासवान, अरुख्तरुल इमान, शालिनी मिश्रा, राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव और मिथिलेश कुमार ने भी अपने विचार रखे.
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