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पटना में कमाई के आगे ठेंगे पर सुरक्षा व्यवस्था, आग लगी तो दर्जनों होटल हो जायेंगे स्वाहा

पटना के पाल होटल में आग लगने के बाद प्रभात खबर ने शहर के होटलों की पड़ताल की तो पता चला कि किसी भी होटल में इमरजेंसी गेट की सुविधा नहीं थी, सभी होटलों के नीचे अपना-अपना रेस्टोरेंट था, प्रवेश और निकास तीन फीट की सीढ़ी से था. पेश है यह विशेष रिपोर्ट…

शुभम कुमार, पटना. पाल होटल और अमृत लॉज में भीषण अग्निकांड के बाद प्रभात खबर ने शुक्रवार को स्टेशन रोड, होटल गली, बाकरगंज, बारी पथ और दीघा स्थित चश्मा गली आदि जगहों की प्रभात खबर ने पड़ताल की. पड़ताल के दौरान होटलों में कमियां तो दिखी ही, साथ ही स्थिति यह है कि अगर किसी भी होटल में आग लगी, तो एक साथ दर्जनों होटल स्वाहा हो जायेंगे. सुरक्षा व्यवस्था को ठेंगे पर रख होटल संचालक कमाई में लगे हैं.

10 फुट की जमीन पर बना लिया होटल और रेस्टोरेंट, तीन फुट की सीढ़ी

स्टेशन रोड स्थित 70 से अधिक होटल हैं. इन होटलों में कई के नाम बड़े और दर्शन छोटे हैं. सबसे पहले स्टेशन रोड स्थित गोरिया टोली की पड़ताल की गयी, तो गली में घुसते ही दोनों तरफ होटल ही होटल दिखाई पड़ रहे थे. ज्यादातर होटल 10 फुट से 12 फुट की जमीन पर बने हैं. नीचे होटल का अपना रेस्टोरेंट और ऊपर एक के बाद एक चार तल्ला मकान में होटल का व्यापार चल रहा है. सभी होटलों में सीढ़ी तीन से चार फुट की थी. इमरजेंसी गेट की सुविधा नहीं है. अगर आग लगी, तो भगदड़ व दम घुटने से कई लोगों की जान जा सकती है.

भइया ई काम हमरा है क्या…ई त मालिक न जानेंगे

गोरिया टोली और होटल गली में होटल शांति, अर्पित होटल, विनायक होटल आदि कई सारे छोटे-छोटे होटल देखने को मिले. प्रभात खबर की पड़ताल टीम ने होटल में काम कर रहे स्टाफ से बातचीत की. शुरू में तो पाल होटल अग्निकांड के बारे में काफी देर चर्चा हुई, लेकिन जैसे ही खुद के होटल में फायर सुरक्षा व्यवस्था और नियमों के पालन के बारे में पूछा, तो सभी ने हाथ खड़े कर दिये.

एक स्टाफ ने नाम न छापने पर बताया कि भइया ई काम हमरा है क्या…ई त मालिक न जानेंगे. यहां पीने के पानी की व्यवस्था तो ठीक है ही नहीं, आग लगने पर बुझाने की व्यवस्था क्या रहेगी. बस चल रहा है. समय पर पैसा मिल जाता है, बस और क्या. कई होटलों के स्टाफ से बातचीत में यह बात सामने आयी कि इन सभी होटलों का संचालन मैनेजर के भरोसे चल रहा है. मालिक तो छह महीने या फिर साल में आते हैं. मैनेजर हिसाब कर समय-समय पर मालिक के खाते में पैसा भेजते हैं. होटल में क्या कमी है और क्या हो रहा है, इससे उन्हें कुछ लेना-देना नहीं.

बाकरगंज, बारी पथ और चश्मा गली का भी हाल बेहाल

बाकरगंज, बारी पथ और चश्मा गली के पास पहले कई बार भीषण अगलगी की घटना हो चुकी है. हथुआ मार्केट और बाकरगंज के कई प्रतिष्ठानों में अगलगी के बाद अग्निशमन विभाग को परेशानियों का सामना करना पड़ा था. इन इलाकों में भी छोटी-छोटी कई दुकानें, प्रतिष्ठान, मार्केट हैं. इनमें न तो फायर सेफ्टी की सुविधा और न ही पार्किंग की. अगर आग लगी भी तो दमकल की गाड़ियों को पहुंचने में ही काफी समय लग जायेगा.

वह इस कारण क्यों कि सड़कों पर गाड़ियां और ठेला-खोमचे वाले का जमावड़ा इन इलाकों में हर वक्त लगा रहता है. पड़ताल में इन इलाकों में कई बड़े-बड़े मार्केट दिखे, लेकिन इनमें न तो पार्किंग की व्यवस्था थी और न ही दमकल की गाड़ियों के अंदर जाने का रास्ता. मालूम हो कि इससे पहले हथुआ मार्केट में आग लगी थी, तो दीवार तोड़कर दमकल की गाड़ियों को अंदर घुसाया गया था.

पड़ताल में पायी गयीं ये कमियां

  • गली-गली में दर्जनों होटल
  • इमरजेंसी गेट की सुविधा नहीं
  • सभी होटलों में छोटी-छोटी सीढ़ियां
  • फायर सेफ्टी की सुविधा नदारद
  • गली में नहीं जा सकेंगी दमकल की गाड़ियां
  • पार्किंग की सुविधा नहीं
  • कई होटलों के जर्जर हो चुके हैं भवन
  • रेस्टोरेंट में दर्जनों गैस सिलिंडरों का स्टोरेज

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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