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भीषण गर्मी में पीने के लिए पानी नहीं, किसी प्याऊ में कचरा, तो कहीं नल की टोटी गायब

गया शहर में इस भीषण गर्मी में राह चलते राहगीरों को पानी के लिए भी तरसना पड़ रहा है. शहर के 30 से 40 फीसदी प्याऊ किसी काम के नहीं हैं

Heat In Gaya: गर्मी का मौसम गया शहर के वासियों के लिए फजीहत लेकर आता है. लगभग हर वर्ष यहां पानी की किल्लत से जन-जीवन परेशान होता है. हालांकि पिछले वर्ष परिदृश्य थोड़ा बदला था और पानी को लोग हाहाकार नहीं मचा था. साथ ही न ही कहीं धरना-प्रदर्शन हुआ था. चूंकि मौसम भी थोड़ा खुशनुमा रहा था. लेकिन, इस बार मौसम फिर प्रचंड रूप ले चुका है. गर्मी के शुरुआती दौर यानी अप्रैल और हिंदी महीने से देखें तो चैत माह में ही अभी तो बैशाख के तीन दिन ही गुजरे हैं और आसमान से जैसे आग के गोले गिर रहे हैं.

इस मौसम में सबसे ज्यादा परेशानी राहगीरों व पशु-पक्षियों को होती है. फुटपाथी दुकानदारों के साथ ठेला, रिक्शा चालक व अन्य सामान बेचने वाले को भी दिक्कत होती है. ऐसे में शहर के प्याऊ पर नजर डालें, तो स्थिति बेहद खराब है. कहीं पानी नहीं निकलता, तो कहीं नल की टोटी गायब है. कई प्याऊ में तो कचरा भरा है. एक दो पूरी तरह जर्जर हालत में हैं. उसकी रिपेयरिंग न करके उसमें साफ-सफाई का सामान रखने का स्टोर बना दिया गया है. अब चूंकि गर्मी काफी पड़ने लगी है. लोगों का गला (हलक) सूख रहा है.

ऐसे में शहर में लगे प्याऊ में करीब 30-40 प्रतिशत बेकार पड़े हैं. उनमें से पानी नहीं निकलता. कई भीड़-भाड़ वाली सड़कों पर तो एक भी प्याऊ नहीं है. टिकारी रोड करीब आधा किलोमीटर में फैला है, पर एक भी प्याऊ नहीं है. स्वराजपुरी रोड, रमना रोड आदि जो एक तरह से व्यावसायिक मंडी है, जहां रोजाना हजारों लोगों की आवाजाही है.

रमना रोड में भी एक भी प्याऊ नहीं है. स्वराजपुरी रोड में सिर्फ महावीर स्कूल के समीप एक प्याऊ है, बाकी कहीं नहीं. पुरानी गोदाम में भी भदानी कोल्ड स्टोरेज के कोने पर एक प्याऊ है, बाकी फिर कहीं नहीं. स्टेशन रोड में शनि मंदिर के पास का प्याऊ पूरी तरह जर्जर है, उसमें साफ-सफाई के सामान का स्टोर बना दिया गया है. स्टेशन के प्रवेश द्वार के काली मंदिर के बांये-दायें बने दोनों प्याऊ पूरी तरह बंद हैं. उनमें पास के दुकानदार कचरा रखे हैं.

मालगोदाम रोड में डाकस्थान के पास बने बड़े प्याऊ जिसमें छह नल की टोटियां लगी थीं, सभी गायब हैं. ऊपर बना टंकी शोभा की वस्तु बनी है. पानी नहीं निकलता. इसी तरह बाटा मोड़ से डेल्हा साइड जाने वाली सड़क में भी बना प्याऊ शोभा के लिए ही खड़ा है. उसमें भी पानी नहीं निकलता. शहर में जितने प्याऊ लगे हैं, उनमें करीब 30-40 फीसदी बंद हालत में हैं पर निगम की सूची में 134 में 12 ही बंद दर्शाया गया है.

बैठकों में होती हैं लंबी-चौड़ी चर्चाएं, पर जमीन पर नहीं दिखता काम

नगर निगम गर्मी से पहले लोगों की दिक्कतों को सुलझाने के लिए कोई खास काम नहीं करता. इसके चलते संसाधन मौजूद रहने के बाद भी लोगों को इसकी सुविधा नहीं मिल पाती है. बोर्ड वास स्टैंडिंग की बैठकों में संसाधन को दुरुस्त करने की लंबी-चौड़ी चर्चा की जाती है. जमीन पर अनुपालन इसका कम ही दिखता है.

निगम सूत्रों का कहना है कि निगम प्रशासन चापाकल, प्याऊ व मिनी जलापूर्ति केंद्र को देखने के लिए एजेंसी को जिम्मेवारी दे दी गयी है. इसकी मॉनीटरिंग नगर निगम के इंजीनियर व कई कर्मचारी कर रहे हैं. नगर निगम जल पर्षद के कार्यपालक अभियंता निगरानी रखते हैं.

नगर निगम के इन दावों को देखा जाये, तो जलापूर्ति को लेकर हर दिन यहां शिकायत पहुंचती है. हालांकि देखा जाये, तो रोड पर चलने वाले राहगीरों के लिए जल की व्यवस्था का जिम्मा नगर निगम के पास ही है. नगर निगम की ओर से 15 से 16 जगह पर अस्थायी प्याऊ शिविर लगाया गया है.

क्या कहते हैं कनीय अभियंता

शहर में किसी भी जगह चापाकल व प्याऊ खराब होने की सूचना पर तुरंत ही संबंधित एजेंसी को खबर किया जाता है. उसे एजेंसी को 24 घंटे के अंदर संसाधन को ठीक कर देना है. कुछ जगहों पर प्याऊ व चापाकल के बोरिंग पूरी तौर से फेल होने के कारण ही नहीं बन पाया है. बावजूद खराब संसाधनों को तुरंत बनाने के लिए नगर निगम की ओर से भी सर्वे किया जा रहा है.

दिनकर प्रसाद, कनीय अभियंता, नगर निगम
Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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