Science Centre In Bihar: बिहार के युवा जो साइंटिस्ट बनना चाहते या फिर वैसे लोग जो स्पेस और टेक्नोलॉजी में रूचि रखते हैं, उनके लिए बड़ी खुशखबरी है. पटना में बेहद शानदार तरीके से डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साइंस सिटी लगभग बनकर तैयार हो गया है. यह साइंस सिटी देश के बड़े-बड़े विज्ञान केंद्रों को टक्कर देगा. यहां की बेहद शानदार पहली तस्वीर आ गई है.
कब होगा उद्घाटन?
आज शनिवार को सीएम नीतीश ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साइंस सिटी का निरीक्षण भी किया. एक-एक गैलेरी के बारे में सीएम नीतीश ने बारीकी से जाना. इस दौरान कई अधिकारी भी मौजूद रहे. संभावना जताई जा रही है कि अगस्त महीने में ही इसका उद्घाटन हो सकता है. जल्द ही यह आम लोगों के लिए खुल जाएगा. भवन निर्माण विभाग की ओर से मोईन-उल-हक स्टेडियम के पास 20.5 एकड़ में नए साइंस सिटी का निर्माण किया जा रहा है.
कहां तक हुआ काम?
नए साइंस सिटी में पांच गैलेरी बनाई जायेगी. पहले चरण के लिए बी ए साइंटिस्ट्स गैलरी का निर्माण पूरा हो गया है. इसके अलावा दूसरे गैलेरी बेसिक साइंस गैलरी का निर्माण जारी है. पांचों गैलेरी में बी ए साइंटिस्ट्स गैलरी, बेसिक साइंस गैलरी, सस्टेनेबल प्लैनेट गैलरी, स्पेस एंड एस्ट्रोनोमी गैलरी और बॉडी एंड माइंड गैलरी शामिल है.
पांच गैलेरी का निर्माण
जानकारी के मुताबिक, पांचों गैलेरी को 7725 वर्गमीटर के एरिया में तैयार किया जाएगा. यहां टोटल 26 थीम पर आधारित 269 साइंस एग्जीबिशन लगाया जाएगा. जल्द से जल्द नए साइंस सिटी के पूरे काम को पूरा कर लेने का आदेश इंजीनियरों और एजेंसियों को दिया गया है. ताकि तय समय के अंदर ही उसका उद्घाटन किया जा सके.
थ्री डी विज्ञान फिल्म दिखाने की व्यवस्था
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साइंस सिटी की खासियत यह भी होगी कि अब्दुल कलाम की मूर्ति, डिजिटल पैनल और म्यूरल लगाए गए हैं. यहां आने वाले बच्चों के लिए ऑडिटोरियम में थ्री डी विज्ञान फिल्म दिखाने की व्यवस्था होगी, जिसकी क्षमता 500 सीटों की होगी. साथ ही सेल्फी प्वाइंट भी होंगे. इस तरह से यह साइंस सिटी बेहद खास होने वाला है.
आज नेशनल स्पेस डे
मालूम हो आज नेशनल स्पेस डे भी है. इस खास मौके पर आज सीएम नीतीश निरीक्षण के लिए पहुंचे. दरअसल, 23 अगस्त, 2023 को इसरो के तीसरे चंद्रमा मिशन ‘चंद्रयान-3’ के लैंडर मॉड्यूल ने चंद्रमा की सतह को चूम कर अंतरिक्ष विज्ञान में सफलताओं की नई इबारत लिखी थी. इस दिन भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बन गया था. इस उपलब्धि को प्राप्त करने, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की मेहनत को प्रोत्साहित करने और युवाओं को अंतरिक्ष विज्ञान में करियर बनाने को प्रेरित करने के लिए 23 अगस्त को ‘नेशनल स्पेस डे’ मनाने की घोषणा की गई.

