– संयुक्त संपत्ति में किसने अपना कहां का हिस्सा बेचा, यह जानकारी आसानी से पता चल पायेगी
संवाददाता, पटना
राज्य में अब एक ही जमीन की दाखिल खारिज कई बार नहीं की जा सकेगी. इससे जमीन विवाद में कमी आयेगी. इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री संजय सरावगी ने सर्वे भवन में एकीकृत भू–अभिलेख प्रबंधन प्रणाली (आइएलआरएमएस)– स्थानिक दाखिल–खारिज पोर्टल की मंगलवार को शुरुआत की. यह पोर्टल आइआइटी, रुड़की ने विकसित किया है. मंत्री ने बताया कि इस नयी व्यवस्था से दाखिल खारिज होने पर जमाबंदी और खसरा में बदलाव के साथ ही दाखिल खारिज वाली जमीन का नक्शा भी मूल नक्शा से अलग होकर दिखने लगेगा. एक व्यक्ति का केवल एक ही खाता होगा. इस प्रणाली से एक भाई अगर अपना हिस्सा बेचता है तो उसका नक्शा भी स्वतः उसके साथ लग जायेगा. संयुक्त संपत्ति में किसने अपना कहां का हिस्सा बेचा, यह जानकारी आसानी से पता चल पायेगी. इससे जमीन की पहचान आसानी से हो सकेगी. इस तरह की व्यवस्था लागू करने वाला देश में पहला राज्य बिहार है.मंत्री संजय सरावगी ने बताया कि इस व्यवस्था को सबसे पहले विशेष सर्वेक्षण पूरा कर अंतिम अधिकार अभिलेख प्रकाशित हो चुके शेखपुरा सहित तीन जिलों के 80 राजस्व ग्रामों में लागू किया जायेगा. वहीं दूसरे चरण में विशेष सर्वेक्षण 31 दिसंबर 2026 तक पूरा करने की समयसीमा है. उन्होंने कहा कि जमीन और राजस्व संबंधी कई कामकाज के लिए आमलोगों को कार्यालय जाना पड़ता और व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ता है. यह व्यवस्था समाप्त होगी. इसके लिए राज्य मंत्रिपरिषद से निर्णय ले लिया गया है.
जमीन के रजिस्ट्रेशन सिस्टम से जोड़ने की योजना
दाखिल खारिज आवेदन से पहले संबंधित जमीन का नक्शा आवेदन करना होगा
इस व्यवस्था के तहत वर्तमान में कार्यरत पोर्टल से ही दाखिल खारिज आवेदन से पहले संबंधित जमीन का नक्शा ऑनलाइन ही बनाकर आधार नंबर देकर आवेदन करना होगा. इसका अप्रूवल अंचल अधिकारी देंगे. इसके बाद एक आइडी मिलेगी और दूसरे चरण में दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया जायेगा. राजस्व कर्मचारी और राजस्व अधिकारी की रिपोर्ट पर अंचल अधिकारी दाखिल खारिज करेंगे.
ये रहे मौजूद इस दौरान भू–अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय की निदेशक जे. प्रियदर्शिनी, सचिव दिनेश कुमार राय, विशेष सचिव अरुण कुमार सिंह, संयुक्त सचिव अनिल कुमार पांडेय, आजीव वत्सराज समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे. बॉक्सयह होगा फायदा
1. जमीन की खरीद-बिक्री में पारदर्शिता बढ़ेगी2.सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, फसल बीमा आदि का लाभ सही पात्र लाभार्थियों को शीघ्रता से मिल सकेगा
3.सरकारी परिसंपत्तियों का बेहतर प्रबंधन हो सकेगा4. भू-राजस्व वसूली में वृद्धि होगी.
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