Tej Pratap: पटना. प्यार के लिए तख्त ओ ताज को ठुकराने का इतिहास पुराना है. ऐसी कई कहानियां और खिस्से सुने और पढ़े गये हैं. लोकतांत्रिक व्यवस्था में भी कई नेताओं का राजनीतिक कैरियर प्यार के कारण आगे नहीं बढ़ पाया. उनके प्यार के खुलासे के बाद पार्टी और परिवार ने उनसे किनारा कर लिया. ऐसे अधिकतर मामलों में सामाजिक तौर पर रिश्तों को अवैध माना गया है. कई मामले तो आपराधिक धाराओं तक पहुंची.
प्यार के खुलासे के बाद नहीं बन पाये विधायक
इस प्रकार का एक मामला बिहार के रोहतास निवासी कांग्रेस के एक राष्ट्रीय स्तर के दिग्गज और दल बदल कर जनता पार्टी की सरकार में दूसरे नंबर पर रहे नेता के पुत्र के साथ हुआ था. वे मोहनियां से विधायक भी बने थे, पर प्रेम प्रसंग की एक घटना ने उनके राजनीतिक सफर को बेपटरी कर दिया. विश्वविद्यालय की एक छात्रा के साथ उस राजनेता की आपत्तिजनक स्थिति की तस्वीर एक पत्रिका में छपी थी. इसके बाद वे फिर कभी विधायक नहीं बन सके. बताया जाता है कि उनके पिता ने इस प्रकरण के बाद उन्हें घर से निकाल दिया था.
शुरू होने से पहले ही खत्म हो गया कॅरियर
बिहार का एक और चर्चित कांड 1983 का है, जिसे बॉबी हत्याकांड से जाना जाता है. इस घटना में भी तब के एक बड़ी राजनीतिक हस्ती के पुत्र का नाम आया था. इस घटना ने भी उस उभरते कांग्रेस नेता के राजनीतिक जीवन की संभावनाओं को खत्म कर दिया था. इस बहुचर्चित कांड में महिला का शव कब्र से निकाल कर पुलिस ने पोस्टमार्टम कराया था. बाद में इस कांड की सीबीआई ने भी जांच की थी.
बेटे के कारण खत्म हुई मां की राजनीति
इसी तरह अस्सी के दशक में कांग्रेस से विधायक रहीं एक महिला राजनेता के पुत्र का एक आदिवासी प्रशासक की पत्नी से प्रेम प्रसंग भी खूब चर्चा में रहा था. पुत्र के प्रेम का खामियाजा महिला राजनेत्री को उठाना पड़ा. जल्द ही वे राजनीति से किनारे हो गईं. एक समय बिहार की राजनीति में दो भाइयों की जोड़ी भी अपने प्रेम और प्रसंगों की वजह से खूब चर्चा में रही थी.
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