बिहार से नक्सलियों का खात्मा अब तेजी से हो रहा है. इस साल जब दुर्दांत नक्सली अरविंद दा और प्रवेश दा को झारखंड में हुए एनकाउंटर में मार गिराया गया तो नक्सलियों का पूर्ण सफाया अब नजदीक दिख रहा है. मुंगेर जिले में कभी नक्सलियों का खौफ रहता था. यहां पुलिसकर्मियों को खौफनाक तरीके से मौत के घाट उतारने से भी नक्सली डरते नहीं थे. नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले एसपी तक को बारूदी सुरंग बिछाकर उड़ा दिया. जो चौकीदार उनकी मुखबिरी करते, वो उन्हें बेरहमी से मार डालते थे. हालांकि अब उन्हीं इलाकों का दृश्य बदल चुका है. बचे-खुचे नक्सली अब अपनी जान बचाने छिपे फिर रहे हैं.
बारूदी सुरंग बिछाकर एसपी के उड़ा दिए थे चिथड़े
2005 में मुंगेर के तत्कालीन एसपी थे 1997 बैच के आईपीएस अफसर केसी सुरेन्द्र बाबू. नया साल 2005 शुरू हुआ था. महज 4 दिन ही इस साल का बीता था. 5 जनवरी 2005 को भीमबांध से सटे पैसरा गांव में एसपी दलबल के साथ छापेमारी करने गए थे. नक्सलियों के खिलाफ ही यह कार्रवाई थी. जब एसपी अपने जवानों के साथ वापस मुंगेर लौट रहे थे तो उन्हें इस बात की भनक तक नहीं थी कि उनकी हत्या की साजिश नक्सलियों ने रच डाली है.
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दरअसल, नक्सलियों ने बारूदी सुरंग बिछाकर रखा था. जैसे ही एसपी की जिप्सी सुरंग के टारगेट में आया, उसे विस्फोट कर दिया गया. जोरदार धमाका वहां हुआ और एसपी की जिप्सी के परखच्चे उड़ गए. एसपी केसी सुरेंद्र बाबू, उनके बॉडीगार्ड और जिप्सी ड्राइवर समेत आधा दर्जन पुलिसकर्मियों के चिथड़े उड़ गए थे. इसी साल झारखंड में हुए एनकाउंटर में ढेर हुआ इनामी नक्सली अरविंद यादव इस हत्याकांड का आरोपित था.
न्यू ईयर पार्टी के बीच ऋषिकुंड में 4 जवानों की हत्या
वर्ष 2008 और तारीख 1 जनवरी. नये साल के आगमन पर मुंगेर के बरियारपुर थाना के ऋषिकुंड में जश्न की तैयारी चल रही थी. इलाके में नक्सलियों का खौफ तब रहता था. अचानक नक्सली दस्ता ऋषिकुंड आ पहुंचा और वहां मौजूद पुलिस दल पर जानलेवा हमला कर दिय. गोलियों की तड़तड़ाहट से इलाका दहल गया. नक्सलियों ने ऋषिकुंड में ड्यूटी पर तैनात 4 सैप जवानों को गोलियों से छलनी कर दिया. चारो की मौत हो गयी. इसके बाद जवानों के पास से एके-47 और इंसास रायफल लेकर नक्सली भाग गए थे. इस हमले में दुर्दांत नक्सली बालेश्वर कोड़ा भी शामिल था. जिसने अब पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया और जेल में सजा काट रहा है.
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मुखबिरी करने वाले चौकीदारों को मौत के घाट उतारा
नक्सलियों के निशाने पर वो चौकीदार भी रहते थे. जो उनकी जानकारी पुलिस को मुहैया कराते थे. मुखबीरों को नक्सली मौत के घाट उतारने से नहीं कतराते थे. हत्या का तरीका भी ऐसा खौफनाक होता था, जिसे देखकर कोई और पुलिस की मुखबिरी करने की हिम्मत जुटा सके.नवंबर 2009 में बड़की हथिया गांव में चौकीदार छब्बू तुरी की हत्या नक्सलियों ने कर दी थी. वर्ष 2010 में हवेली खड़गपुर थाना के गुगलडीह गांव में भी चौकीदार की हत्या की गयी. पुलिस मुखबिरी के आरोप में चौकीदार कलेश्वरी मंडल को नक्सलियों ने घर से बुलाया और गला रेतकर हत्या कर दी थी.
चुनाव कराने जा रहे CRPF जवानों की कर दी थी हत्या
10 अप्रैल 2014, बिहार में लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान इस दिन हो रहा था. सीआरपीएफ की एक टुकड़ी पोलिंग बूथ पर जा रही थी. गंगटा-लक्ष्मीपुर रूट पर सवा लाख स्थान के पास जैसे ही ये जवान पहुंचे, नक्सलियों ने पहले विस्फोटक के जरिए और फिर जवानों पर ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी. इस हमले में CRPF के दो जवानों की मौत इलाज के क्रम में हो गयी थी. 10 जवान जख्मी हुए थे.

