बिहार के मुंगेर, जमुई और लखीसराय के जंगली इलाके एक दौर में नक्सलियों का मजबूत ठिकाना होता था. कई गांवों में इन नक्सलियों का खौफ दिखता रहा. ये नक्सली बिहार या झारखंड के रहने वाले थे. सीमावर्ती इलाकों में इनका प्रभाव अधिक रहा. लेकिन पिछले कुछ सालों से जब विशेष अभियान के तहत ताबड़तोड़ कार्रवाई की गयी, तो अब इन इलाकों का दृश्य बदला हुआ है. कई दुर्दांत नक्सली मारे गए तो अनेकों ने सरेंडर करके अपनी जान बचायी. लेकिन कुछ नक्सलियों का सफाया अभी भी बाकि है. जिसके बाद सरकार और आम लोग भी राहत की सांस पूरी तरह ले सकेंगे.
कोई एनकाउंटर में ढेर तो किसी ने सरेंडर करके बचायी अपनी जान
चिराग दा उर्फ रामचंद्र महतो, सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश दा,अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा, पिंटू राणा, अर्जुन कोड़ा, रावण कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा जैसे दुर्दांत नक्सलियों का दहशत इन जिलों में रहता था. करीब 10 साल पहले नक्सली कमांडर चिराग दा उर्फ रामचंद्र महतो उर्फ जोधन को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया था. चिराग दा कई नरसंहार को अंजाम दे चुका था. इसके बाद नक्सली कमांडर मतलू तूरी भी मारा गया.
ALSO READ: अय्याशी में बीतती थी खूंखार नक्सलियों की जिंदगी! बिहार में अदालत तक पहुंचा था गर्भपात का मामला
हार्डकोरों के सरेंडर ने तोड़ी संगठन की रीढ़
नक्सलियों के खात्मे की कार्रवाई अब तेज हो चुकी थी. फिर खूंखार नक्सली पिंटू राणा की गिरफ्तारी दो साल पहले हुई तो इसे बड़ी सफलता मानी गयी. पिंटू राणा के बाद नक्सल संगठन की रीढ़ तब टूटी जब दुर्दांत अर्जुन कोड़ा, नागेश्वर कोड़ा, बालेश्वर कोड़ा जैसे नक्सलियों ने अपनी जान बचाने के लिए सरेंडर कर दिया. रावण कोड़ा भी जेल की सलाखों में कैद हुआ.
इन तीन दुर्दांत नक्सलियों का खात्मा अभी बाकि
मुंगेर, जमुई और लखीसराय में सर्च ऑपरेशन लगातार चलता रहा. नक्सली भी अपने संगठन को मजबूत करने की कोशिश करते रहे लेकिन इस बीच इसी साल झारखंड में दो बड़े मुठभेड़ हुए और दुर्दांत नक्सली सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश दा और अरविंद यादव उर्फ अविनाश दा ढेर हो गए. दोनों की मौत से नक्सल संगठन की रीढ लगभग पूरी तरह टूट चुकी है. लेकिन अब तीन और नक्सलियों की तलाश सुरक्षाबलों को है. ये तीन नक्सली हैं- सुरेश कोड़ा, नारायण कोड़ा और बहादुर कोड़ा.
मुठभेड़ में सैकड़ों राउंड गोलियां चली, बचकर भाग निकला सुरेश कोड़ा
सुरेश कोड़ा, नारायण कोड़ा और बहादुर कोड़ा तीनों बिहार के मुंगेर जिले के ही रहने वाले हैं. इसी साल जुलाई महीने में पुलिस को सूचना मिली कि नक्सली सुरेश कोड़ा मुंगेर के नक्सल प्रभावित राजासराय में छिपा है. जिसके बाद एसटीएफ की टीम भी छापेमारी के लिए पहुंची. लेकिन अंधेरा और जंगली इलाका होने का फायदा उठाकर सुरेश कोड़ा फरार हो गया. दोनों तरफ से ताबड़तोड़ गोलीबारी भी हुई है. सूत्र बताते हैं कि इस मुठभेड़ में गोली लगने से सुरेश कोड़ा जख्मी हुआ है. हालांकि ऐसी कोई पुष्टि पुलिस ने नहीं की है.
जान बचाने छिप रहे बचे हुए नक्सली
सुरेश कोड़ा नक्सल संगठन में सेंटर कमिटी मेंमर है. नारायण कोड़ा और बहादुर कोड़ा संगठन का एरिया कमांडर है. तीनों की तलाश अभी भी जारी है. हालांकि अब ये नक्सली अपनी जान बचाकर ही छिपे फिर रहे हैं. इनका वर्चस्व अब खत्म हो चुका है. दूसरी तरफ बिहार को नक्सलमुक्त बनाने के लिए अभियान भी तेज है.

