विधि संवाददाता, पटना कथित रूप से अपने माता-पिता द्वारा बंधक बनायी गयी वयस्क विवाहिता को पटना हाइकोर्ट ने अपने पति के साथ हंसी-खुशी से दांपत्य जीवन जीने के लिए मुक्त करा दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि जिस इलाके में यह दंपती रहेंगे, उनकी रक्षा के लिए नजदीकी थाने के प्रभारी इन पर निगरानी रखेंगे. न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद और न्यायमूर्ति शौरेंद्र पांडे की खंडपीठ ने अभिजीत कुमार की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निष्पादित करते हुए यह आदेश दिया. याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी रुचि को मायके वाले आशियाना नगर स्थित अपने आवास में जबरन बंधक बना कर रखा है. कोर्ट को बताया गया कि अभिजीत और रुचि की शादी का रजिस्ट्रेशन विशेष विवाह अधिनियम के तहत हुआ था. कोर्ट में शादी का प्रमाणपत्र जमा किया गया, जिससे रुचि वयस्क पायी गयी. खंडपीठ ने संबंधित राजीव नगर के थानाप्रभारी को निर्देश दिया कि वह रुचि को पुलिस की सुरक्षा में सशरीर कोर्ट में पेश करें. इसके बाद थाना पुलिस नेरुचि को कोर्ट में पेश किया. खंडपीठ ने रुचि से तहकीकात की, तो उसने अभिजीत को अपना पति बता कर उसके साथ रहने की इच्छा जतायी. उसने कहा कि उसे मां-पिता धमका कर जबरन मायके में रखे हुए हैं. खंडपीठ ने वयस्क विवाहिता को अपने पति के घर जाने के लिए स्वतंत्र कर दिया. साथ ही उसके माता-पिता की काउंसेलिंग करवाने का भी आदेश दिया .
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