International Cricket Umpire: दरभंगा जिले के मकरंदा गांव (मनीगाछी) के अरविंद अचल को आईसीसी के डेवलपमेंट अंपायर पैनल में जगह मिली है. इसके साथ ही वे बिहार के पहले क्रिकेट अंपायर बन गए हैं जिन्हें यह सम्मान मिला है. अब अरविंद आईसीसी की प्रतियोगिताओं और अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग करेंगे.
हाल ही में उन्होंने एस्टोनिया की राजधानी टालिन में स्विट्जरलैंड और एस्टोनिया के बीच खेले गए टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायरिंग की.
अरविंद अचल का संघर्षभरा सफर
अरविंद का क्रिकेट से रिश्ता खिलाड़ी या कोच के तौर पर नहीं, बल्कि अंपायरिंग के रास्ते से जुड़ा. क्रिकेट को लेकर गहरी रुचि रखने वाले अरविंद ने अपने सफर की शुरुआत छोटे स्तर पर मैचों की अंपायरिंग से की थी. धीरे-धीरे उन्होंने खुद को इस क्षेत्र में निखारा और नियमों की बारीकी पर पकड़ बनाई.
लगातार 25 साल की मेहनत, समर्पण और संघर्ष के बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय पैनल तक का सफर तय किया. यह सफर आसान नहीं था, खासकर तब जब क्रिकेट को भारत जैसे देशों में जितनी अहमियत मिलती है, उतनी स्विट्जरलैंड जैसे देशों में नहीं. लेकिन अरविंद ने हार नहीं मानी और अपने सपनों को साकार करने में जुटे रहे.
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत
अरविंद ने हाल ही में टालिन में खेले गए टी20 अंतरराष्ट्रीय मैचों में अंपायर की भूमिका निभाई. यह उनके करियर का बड़ा पड़ाव था, क्योंकि यहीं से उन्हें आधिकारिक तौर पर आईसीसी के पैनल में जगह मिली. अब वे आईसीसी द्वारा आयोजित विभिन्न टूर्नामेंट्स और मैचों में अंपायरिंग करेंगे.
अरविंद अचल के पिता टुनटुन झा ने बेटे की इस उपलब्धि पर गर्व जताया. उन्होंने कहा कि यह पूरे परिवार, गांव और मिथिला के लिए गौरव का क्षण है. अरविंद बचपन से ही क्रिकेट में रुचि रखते थे और आज उनकी लगन रंग लाई है.
गांव से लेकर पूरे मिथिलांचल में जश्न का माहौल है. अरविंद के दोस्तों और सहयोगियों का कहना है कि उनका यह सफर आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा.
बिहार के लिए गौरव का क्षण
अरविंद अचल की उपलब्धि बिहार के लिए गर्व का पल है. अब तक बिहार से कोई भी क्रिकेट अंपायर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक नहीं पहुंच पाया था. अरविंद ने यह उपलब्धि हासिल कर साबित कर दिया कि प्रतिभा और जुनून की कोई सीमा नहीं होती.
क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि अरविंद की यह सफलता बिहार के उन युवाओं के लिए बड़ी प्रेरणा है, जो खेल जगत में अपना करियर बनाने का सपना देखते हैं. वे यह समझ पाएंगे कि केवल खिलाड़ी बनकर ही नहीं, बल्कि अंपायरिंग, कोचिंग और अन्य क्षेत्रों में भी सफलता हासिल की जा सकती है.
अरविंद अचल की कहानी उन युवाओं के लिए मिसाल है जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखते हैं. उनका सफर यह बताता है कि अगर मेहनत और लगन से प्रयास किया जाए तो सपनों को हकीकत बनाया जा सकता है.
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