Thawe Mandir: गोपालगंज के प्रसिद्ध थावे भवानी मंदिर में हुए 1.08 करोड़ रुपये के आभूषण चोरी कांड ने पुलिस व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जिस शख्स को इस हाई-प्रोफाइल चोरी का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है, उसे घटना से ठीक छह दिन पहले पुलिस ने शक के आधार पर हिरासत में लिया था. लेकिन पर्याप्त सबूत न होने और उसकी चालाकी के चलते छोड़ दिया गया.
पांच घंटे तक थाने में बैठाकर पूछताछ की थी पुलिस
दरअसल, 10 और 11 दिसंबर की रात मंदिर परिसर में संदिग्ध गतिविधियों को लेकर पुलिस की नजर एक युवक पर पड़ी थी. वह मंदिर परिसर में बार-बार घूम रहा था और आसपास के इलाकों को बारीकी से देख रहा था. पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर करीब पांच घंटे तक थाने में बैठाकर पूछताछ की. पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि वह अपनी प्रेमिका से मिलने थावे आया है. उसने इतनी सहजता से अपनी कहानी पेश की कि पुलिस को भी शक के बावजूद ठोस आधार नहीं मिल सका.
पूछताछ के दौरान आरोपी ने अपने पिता से फोन पर बात भी करवाई. पिता के हस्तक्षेप और स्थानीय दबाव के बाद पुलिस ने उसे सरकारी वाहन से रेलवे स्टेशन तक छोड़ दिया. बाद में यही व्यक्ति थावे भवानी मंदिर आभूषण चोरी कांड का मास्टरमाइंड निकला.
गर्लफ्रेंड से बोला था कुछ बड़ा करने जा रहा है
पुलिस के अनुसार, आरोपी की पहचान उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के निवासी दीपक राय के रूप में हुई है. दीपक एक शातिर अपराधी है और पहले भी चोरी के मामलों में जेल जा चुका है. पुलिस पूछताछ में दीपक ने कबूल किया कि उसने इस बड़ी चोरी की साजिश काफी पहले रच ली थी.
दीपक ने मंदिर के बारे में कैसे जुटाई जानकारी?
इस चोरी की सबसे खास बात यह रही कि दीपक ने केवल मौके की रेकी पर भरोसा नहीं किया, बल्कि डिजिटल प्लेटफॉर्म को भी अपने अपराध का हथियार बनाया. पुलिस के मुताबिक, 9 से 13 दिसंबर के बीच दीपक ने 10 से 12 यूट्यूब वीडियो देखे, जिनमें थावे मंदिर से जुड़े वीडियो, श्रद्धालुओं की रील्स, ड्रोन फुटेज और मंदिर परिसर के कैमरा एंगल शामिल थे. इसके अलावा उसने मंदिर की वेबसाइट और गूगल मैप की मदद से रास्तों, दीवारों और आसपास के निर्माणाधीन भवनों की पूरी जानकारी जुटाई.
आरोपी के सर्च हिस्ट्री से मिली जानकारी
आरोपी के मोबाइल फोन से बरामद सर्च हिस्ट्री ने पुलिस को पुख्ता डिजिटल सबूत दिए हैं. जांच में सामने आया है कि 10-11 दिसंबर की रात दीपक ने यह भी तय कर लिया था कि किस दीवार से चढ़ना है, कहां रस्सी का इस्तेमाल करना है और किस रास्ते से मंदिर परिसर में प्रवेश करना सबसे सुरक्षित रहेगा. सीसीटीवी फुटेज में भी उसी रात एक संदिग्ध व्यक्ति निर्माणाधीन भवन और मंदिर की दिशा में जाता हुआ दिखाई दिया, जो बाद में दीपक राय ही साबित हुआ.
एक अज्ञात फोन कॉल से सुलझी गुत्थी
इस पूरे केस को सुलझाने में एक अज्ञात फोन कॉल निर्णायक साबित हुआ. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि चोरी के खुलासे के लिए एक लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया था. इसके बाद पुलिस को एक अनजान नंबर से फोन आया, जिसमें बताया गया कि यह चोरी गाजीपुर का एक शातिर अपराधी करता है और उसी दिशा में छापेमारी की जाए.
दीपक राय के घर तक कैसे पहुंची पुलिस?
सूचना के आधार पर पुलिस ने गाजीपुर जिले में छापेमारी की और दीपक राय के घर तक पहुंची. हालांकि उस समय दीपक घर पर मौजूद नहीं था. परिजनों से पूछताछ में उसके आपराधिक इतिहास की पुष्टि हुई. इसके बाद बिहार-यूपी बॉर्डर पर पुलिस टीमों को अलर्ट किया गया. 22 दिसंबर की रात आखिरकार आरोपी को गोपालगंज-यूपी सीमा के पास गिरफ्तार कर लिया गया.
तकनीकी जांच में मंदिर के लॉकर, दीवार और रस्सी पर मिले फिंगरप्रिंट दीपक राय से पूरी तरह मैच कर गए. इससे साफ हो गया कि थावे भवानी मंदिर आभूषण चोरी कांड का मास्टरमाइंड दीपक राय ही है. फिलहाल पुलिस उससे लगातार पूछताछ कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि इस वारदात में उसके साथ कोई और शामिल था या नहीं.

