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Holi 2025: होलिका दहन के साथ होली की शुरुआत, पटना समेत पूरे बिहार में उड़ने लगे अबीर-गुलाल

Holi 2025: होलिका दहन के बाद पूरे चौराहे का वातावरण पूरी तरह से भक्तिमय हो गया. होली दहन के साथ खूब जयकारे लगे. महिलाओं ने होलिका के चारों और गीतों पर नृत्य किया. होलिका दहन के साथ ही होली का पर्व शुरू हो गया जो शनिवार शाम तक चलेगा. इस मौके पर लोगों ने एक दूसरे को शुभकामनाएं दीं.

Holi 2025: पटना. होलिका दहन का पर्व पूरे बिहार भर में धूमधाम से मनाया जा रहा है. गुरुवार को शुभ मुहूर्त में रात 10:46 बजे के बाद पटना समेत राज्य के विभिन्न चौराहों पर होलिका जिसे बिहार में सम्मत कहा जाता है, उसका विधि-विधान से दहन किया गया. सुबह से ही लोग होली के मूड में आ गये थे. होलिका दहन के साथ होली का खेला गया. लोग एक दूसरे को रंग अबीर लगाने लगे. होलिका दहन के दौरान लोगों ने होली के खूब गीत गाए और डांस किया. नगर से लेकर देहात क्षेत्रों तक में जगह-जगह होलिका रखी गई , तो महिलाओं ने सुबह से पूजा अर्चना शुरू कर दी थी. शुक्रवार को रंग पर्व के लिए लोगों की तैयारी पूरी हैं.

सुरक्षा की रही चुस्त व्यवस्था

होलिका दहन के समय पुलिस प्रशासन पूरी तरह से अलर्ट रहा. पुलिस ने होलिका दहन के स्थानों पर गश्त किया. होलिका दहन को लेकर सुबह से लोगों में उत्साह देखने को मिली. नए वस्त्र धारण कर लोगों ने होलिका का विधि-विधान से पूजन किया. सुबह से ही लोग एक दूसरे को होली की शुभकामनाएं देने में लगे गए थे. लोगों ने होलिका को खूब सजाया, फिर पूजन शहर सेलेकर देहात तक बच्चे और बड़ों ने अपने- अपने मोहल्ले में होली रखी. लकड़ी और उपलों की रखी होलिका का दिन में पूड़ी-पकवान आदि से पूजन किया. पूजन करने के बाद घर के बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया. कुछ जगहों पर लोगों द्वारा होलिका को फूलों से सजाया भी गया.

खूब बिके जौ, होली की अग्नि में भूना गया

होलिका जलाने की परंपरा के साथ ही उसकी आग से जौ भूनने की प्राचीन परंपरा के निर्वहन के लिए नगर से लेकर देहात क्षेत्रों तक में जौ की बालियों की खूब बिक्री हुई. तमाम ग्रामीण पहले से जौ की बालियों की गुच्छियां बनाकर लाए थे, जो दस से 30 रुपये तक में बिकी. होली की परंपरा में जौ का विशेष महत्व है. इसे फसल पकने का संकेत भी माना जाता है. जौ की बालियों को होली की आग में भूनने के बाद इसके दाने निकाल कर लोग एक दूसरे को देते हैं. इसके साथ ही राम-राम की परंपरा भी है. होलिका की आग ठंडी होने के बाद ही जौ की बाल में सुनहरा पन छाने लगता है और लोग फसलों को काटना शुरू कर देते हैं.

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