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परंपराएं वहीं अच्छी जो समाज को आगे बढ़ाए : डीएम

बाल विवाह को समाप्त करने 27 नवंबर से आठ मार्च तक अभियान चल रहा है

बाल विवाह को समाप्त करने आठ मार्च तक जिले के सभी उच्च विद्यालय में चलेगा अभियान किशनगंज बाल विवाह को समाप्त करने 27 नवंबर से आठ मार्च तक अभियान चल रहा है. इस 100 दिवसीय अभियान में बाल विवाह के विरूद्ध व इसके साथ-साथ बालिकाओं एवं महिलाओं के बीच शिक्षा, कौशल, उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए जागरूक किया जा रहा है. जिला पदाधिकारी की ओर से यह अभियान ज़िले के सभी उच्च विद्यालय में चलाया जा रहा है. जिला पदाधिकारी ने बताया कि हमारे देश में लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है. इसके बावजूद आज भी हमारे समाज में बाल विवाह जैसी कुप्रथा देखने को मिलती है. बाल विवाह बच्चों के बचपन, शिक्षा और सपनों को छीन लेता है. विशेषकर लड़कियों के लिए यह बहुत ही घातक सिद्ध होता है. कम उम्र में विवाह से उनका शारीरिक और मानसिक विकास रुक जाता है, स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ती हैं और वे अपने अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. बाल विवाह का मुख्य कारण अशिक्षा, गरीबी, सामाजिक दबाव और पुरानी परंपराएं हैं. लेकिन हमें यह समझना होगा कि परंपराएं वहीं अच्छी होती हैं जो समाज को आगे बढ़ाएं, न कि उसे पीछे धकेलें. भारत सरकार ने बाल विवाह को रोकने के लिए कड़े कानून बनाए हैं, फिर भी जब तक समाज जागरूक नहीं होगा, तब तक इस कुप्रथा को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता. हम सभी का कर्तव्य है कि हम बाल विवाह के खिलाफ आवाज़ उठाएं, बच्चों को शिक्षा के महत्व के बारे में समझाएं और अपने आसपास होने वाले बाल विवाह को रोकने में सहयोग करें. आइए हम सब मिलकर यह संकल्प लें कि हम न केवल स्वयं बाल विवाह का विरोध करेंगे, बल्कि दूसरों को भी इसके दुष्परिणामों के बारे में जागरूक करेंगे.

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