संवाददाता, पटना हिंदी हिंदुस्तान की दिल, संवेदना, जज्बात की भाषा है. आवश्यक हो तो हिंदी में रचे-बसे आगत शब्द ही प्रयुक्त हों, हिंग्लिश या हिंग्रेजी नहीं. इससे भारतीयता धूमिल होती है. ये बातें प्रशिक्षक व साहित्यकार डॉ वीरेंद्र कुमार भारद्वाज ने कहीं. मौका था हिंदी पखवारा पर आयोजित ‘सही सुनेंगे, सही लिखेंगे’ श्रुतलेख- प्रतियोगिता का, जिसमें कक्षा पांचवीं से लेकर आठवीं और नौवीं से बारहवीं को दो वर्ग समूहों में बांटकर यह प्रतियोगिता आयोजित हुई. 14 सितंबर तक चलने वाले इस आयोजन में हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित होंगे. तीन सितंबर तुम भी कहो, हम भी कहेंगे वाद-विवाद कार्यक्रम, चार सितंबर बड़ों का नन्हा दुलार ऊनार्थक शब्द-प्रतियोगिता, पांच सितंबर बातचीत व चर्चा, सात सितंबर लघुकथा लेखन कार्यशाला-सह- लघुकथा पाठ, 10 सितंबर भावों को शब्दों में बांधो निबंध लेखन प्रतियोगिता, 12 सितंबर एक खत तेरे नाम पत्र लेखन प्रतियोगिता, 13 सितंबर को नुक्कड़ कवि सम्मेलन और 14 सितंबर को पुरस्कार-वितरण-सह-समापन समारोह होगा. कार्यशाला में विशेषज्ञ भी आमंत्रित होंगे.
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