संवाददाता, पटना राज्य में वन क्षेत्रों की पहचान होगी. इसके तहत निजी जमीन सहित सरकारी जमीन के वन क्षेत्र शामिल हैं. इसकी जिम्मेदारी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित आठ सदस्यीय विशेषज्ञ समिति को दी गयी है. यह समिति वन क्षेत्रों की पहचान कर सभी श्रेणी से संबंधित वनों की विस्तृत रिपोर्ट केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को सौंपेगी. इसका मकसद राज्य में पौधारोपण वाले क्षेत्रों का नये सिरे से आकलन करना है. इससे यह जानकारी मिल सकेगी कि राज्य में हरित आवरण को मानक स्तर तक ले जाने के लिए कितने पौधारोपण की आवश्यकता है. साथ ही इसके लिए कितनी जमीन उपलब्ध है. सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ समिति स्वामित्व पर ध्यान दिये बिना ही वन की तरह दिखने वाली जमीन की पहचान करेगी. इस दौरान जमीन की पहचान करते समय हर तरह की जमीन के संबंध में आंकड़े जुटाये जायेंगे. इसमें जमीन का वर्गीकृत होना या किसी नियम, अधिनियम या अधिसूचना के आधार पर जमीन को छोड़ा नहीं जायेगा. वन क्षेत्रों की पहचान करते समय ऐसे क्षेत्र भी शामिल किये जायेंगे जहां पहले पहले वन थे, लेकिन अब नहीं हैं. इसके साथ ही सरकारी और निजी जमीनों पर वनों के पाये जाने पर उनका भी आंकड़ा शामिल किया जायेगा. विशेषज्ञ समिति के ये हैं सदस्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख), बिहार जैव विविधता पर्षद के अध्यक्ष, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के सचिव, विज्ञान प्रावैधिकी एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव से अन्यून इसके सदस्य होंगे. साथ ही अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक सह कैम्पा सह नोडल पदाधिकारी (वन संरक्षण) सदस्य सचिव होंगे.
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