संवाददाता, पटना. वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) अगले वर्ष 2026 में बड़ी सुविधा देने की तैयारी में है. संगठन इपीएफ निकासी प्रक्रिया को पहले से अधिक तेज, सरल और पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रहा है. नई प्रणाली लागू होने के बाद दावा किया जा रहा है कि केवाइसी अपडेट होने पर राशि कुछ ही घंटों में सीधे बैंक खाते में पहुंच सकेगी. इसके लिए एआइ-आधारित सत्यापन और ऑटोमेटेड ऑनलाइन प्रोसेस विकसित किए जा रहे हैं. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के क्षेत्रीय आयुक्त हेमंत कुमार ने बताया कि 2025 में इपीएफओ ने निकासी नियमों में बड़े बदलाव किए थे. पहले इपीएफ निकासी के 13 अलग-अलग कारण थे, जिन्हें अब तीन प्रमुख श्रेणियों आवश्यक जरूरतें, आवास संबंधी जरूरतें और विशेष परिस्थितियां में वर्गीकृत किया गया है. इससे कर्मचारियों के लिए यह समझना आसान हो गया है कि वे कब और कितनी राशि निकाल सकते हैं.
बेरोजगार रहने की स्थिति में राशि निकाल सकते हैं :
उन्होंने बताया कि नियमों के अनुसार, कर्मचारी 58 वर्ष की आयु पूरी होने, स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति, स्थायी विकलांगता, विदेश में स्थायी रूप से बसने या लंबे समय तक बेरोजगार रहने की स्थिति में अपनी पूरी इपीएफ राशि निकाल सकते हैं. बेरोजगारी के दौरान पहले 75 प्रतिशत राशि तुरंत और शेष 25 प्रतिशत 12 महीने बाद निकाली जा सकती है. क्षेत्रीय आयुक्त ने बताया कि सेवानिवृत्ति से पहले आंशिक निकासी की सुविधा भी उपलब्ध है. घर खरीदने या बनाने के लिए कम से कम 5 वर्ष की सेवा, गृह ऋण चुकाने के लिए 10 वर्ष, जबकि विवाह व बच्चों की शिक्षा के लिए 7 वर्ष की सेवा अनिवार्य है. चिकित्सा उपचार के लिए न्यूनतम सेवा अवधि की बाध्यता नहीं है. 54 वर्ष की आयु के बाद कर्मचारी 90 प्रतिशत राशि तक अग्रिम निकाल सकते हैं. हेमंत कुमार ने बताया कि कर प्रावधानों के अनुसार, 5 वर्ष की निरंतर सेवा पूरी करने पर निकाली गई राशि टैक्स-फ्री होती है, जबकि 5 वर्ष से पहले निकासी पर टीडीएस लागू होता है. बता दें की संगठन लगातर इपीएफ की निकासी प्रक्रिया को आसान और सरल कर रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

