संवाददाता, पटना माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने रविवार को पत्रकारों से कहा है कि बिहार का चुनाव परिणाम उम्मीद और समझ से परे है. उन्होंने वर्ष 2010 का उदाहरण देते हुए कहा कि वह नीतीश कुमार के उभार का समय था, लेकिन आज एक लड़खड़ाती हुई सरकार को इतना बड़ा बहुमत मिलना समझ से परे और शोध का विषय है. इसमें कई महत्वपूर्ण बिंदु दिखते हैं. इसके तहत मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़, चुनाव घोषणा से पहले सरकारी योजनाओं और पैसों की बाढ़, वोट और सीटों के बीच गहरी असमानता शामिल हैं. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि चुनाव में उतरे सभी भाकपा माले उम्मीदवारों की बैठक हुई है. 18 से 24 नवंबर तक जीते-हारे सभी उम्मीदवार जनता के बीच रहकर सघन जनसंपर्क और जनसंवाद अभियान चलायेंगे. उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हम पर भरोसा किया, उनका आभार व्यक्त करेंगे और जिन्होंने वोट नहीं दिया, उनकी बात भी सुनने और समझने की कोशिश की जायेगी. बिहार के चुनाव परिणाम पर जनता क्या सोच रही है, इसे जानने और संवाद बढ़ाने का प्रयास किया जायेगा. 28 से 30 नवंबर तक पटना में पार्टी की केंद्रीय कमेटी की बैठक और एक दिसंबर को राज्य कमेटी की बैठक आयोजित होगी. प्रेस वार्ता में भाकपा माले के राज्य सचिव कुणाल, मीना तिवारी, शशि यादव, नवनिर्वाचित विधायक संदीप सौरभ व अरुण सिंह, शिवप्रकाश रंजन और दिव्या गौतम मौजूद थे.
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