Election Express: प्रभात खबर का इलेक्शन एक्सप्रेस लगातार जारी है. इस महाअभियान के तहत हमारी टीम बिहार के अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में पहुंच रही है. हमारी टीम आज मां जानकी की धरती सीतामढ़ी के बाजपट्टी पहुंची है. यहां हम दिनभर अलग-अलग चौक-चौराहों पर जाएंगे, लोगों से बातचीत करेंगे. इसके बाद शाम को एक चुनावी चौपाल लगेगा, जिसमें बाजपट्टी विधानसभा की तमाम जनता मौजूद होगी और उनके सामने मंच पर क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी मौजूद होंगे. चौपाल में क्षेत्र के मुद्दों पर चर्चा होगी. आज जिस विधानसभा क्षेत्र में यह चौपाल लगने वाला है, उसकी चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर भी होती है. इसी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत महान दार्शनिक और गणितज्ञ भगवान बोधायन का प्रसिद्ध मंदिर है. आइए जानते हैं भगवान बोधायन के बारे में…
महान दार्शनिक और गणितज्ञ भगवान बोधायन
भारत की प्राचीन विद्या परंपरा में भगवान बोधायन का नाम श्रद्धा और गौरव के साथ लिया जाता है. वे महान दार्शनिक, ऋषि और गणितज्ञ थे. उनके पिता का नाम स्वामी शंकर दास और माता का नाम चारुमती देवी था. जन्म के समय उनका प्रारंभिक नाम उपवर्ष और जन्म राशि के अनुसार नाम पुण्डरीक रखा गया था.
दीक्षा और विद्या परंपरा
ग्रंथों के अनुसार, भगवान व्यासदेव के शिष्य सुकदेव मुनि ने ही बोधायन को दीक्षित किया था. उनकी गहन विद्या साधना का परिणाम यह रहा कि उन्होंने दो सौ से अधिक ग्रंथों की रचना की. इनमें त्रिकांड मीमांसा, वेदवृति, वेदांत, बोधसूत्र, शुल्कसूत्र, ब्रह्मसूत्र, धर्मसूत्र, श्रोतसूत्र, रत्नमंजूषा, वृत्तिसूत्र और प्रभृतिसूत्र जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ शामिल हैं.
गणित और ज्यामिति में योगदान
बोधायन गणित और ज्यामिति के क्षेत्र में अपनी विलक्षण खोजों के लिए प्रसिद्ध हैं. वे कर्मकांड में वेदी निर्माण के लिए ज्यामितीय प्रिंसिपल्स का प्रयोग करते थे. प्रसिद्ध बोधायन प्रमेय ने बाद में आर्यभट्ट को भी प्रेरित किया. उन्होंने यह सिद्ध किया कि किसी समकोण त्रिभुज में कर्ण का वर्ग शेष दो भुजाओं के वर्गों के योग के बराबर होता है. इसके अलावा उन्होंने बोधायन शुल्कसूत्र
जीवन, कर्मभूमि और परंपरा
बोधायन की जन्म और कर्मभूमि वनगांव रही, जहां वर्ष 1958 में उनके मंदिर की आधारशिला रखी गई. मंदिर परिसर लगभग 11 एकड़ में फैला है. उनकी गमनस्थली गुजरात की ताप्ती नदी का तट रहा, जहां आज भी बोधानेश्वर समाधि प्रसिद्ध है.

