Chirag Paswan: पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवान पर आपतिजनक टिप्पणी की है. उन्होंने कहा, ‘इसके कारण बड़े भाई को अंतिम समय में नहीं देख पाया. कोरोना की वजह बताकर मुझे और मेरे परिवार के किसी भी सदस्य को बड़े भाई साहब से मिलने नहीं दिया गया. जबकि अंतिम समय में बड़े भाई रामविलास पासवान परिवार के सभी लोगों को खोज रहे थे. जो जैसा करेगा, वैसा फल मिलेगा.’
कल चिराग ने चाचा को लेकर दिया था बयान
चिराग पासवान ने गुरुवार को पार्टी के स्थापना दिवस पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा था, ‘वह हमारे घर के बड़े-बुजुर्ग हैं. अलग होने का फैसला उन्होंने अकेले ही लिया था, मेरी मां से हर रिश्ते को तोड़ने का फैसला भी उन्हीं ने किया. भविष्य में साथ आना है या नहीं, यह फैसला भी उन्हीं का होगा. मेरे और उनके खून में फर्क है. मैं नहीं मानता आने वाले दिनों में ये चीजें कभी एक हो सकती है.’
कब पड़ी थी पार्टी में फूट
चिराग के पिता रामविलास पासवान का 8 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया था. इसके बाद चाचा और भतीजा पार्टी को लेकर अलग-अलग राय रखने लगे. बात बिगड़ती चली गई. 14 जून 2021 को एलजेपी में फूट पड़ गई. पशुपति ने एलजेपी के पांच सांसदों को अपने पक्ष में कर लिया और चिराग को पार्टी अध्यक्ष पद से हटाने की घोषणा कर दी. इसके बाद रामविलास पासवान की लोजपा दो हिस्सों में बंट गई.
पिता के निधन के तुरंत बाद घटी इस घटना के बाद चिराग अकेले पड़ गए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने धैर्य बनाये रखा और पार्टी को मजबूत करने में लगे रहे. समय का चक्र बदला और 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए ने चिराग पासवान को पांच सीटें दे दीं और पारस का हाथ खाली रह गया. चिराग की पार्टी ने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया और उनके सभी उम्मीदवार चुनाव जीत गए. अब चिराग केंद्र में मंत्री हैं. 15 नवंबर को चिराग को पार्टी का पुराना दफ्तर भी मिल गया.
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