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1971 का भारत-पाक युद्ध: पटना में ब्लैकआउट की कहानी, चार-पांच दिनों तक घरों में कैद रहते थे लोग

भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 में जब युद्ध हुआ तब पटना में भी ब्लैकआउट एक्सरसाइज हुआ था. तब किस तरह 5 दिनों तक लोग घरों में कैद रहते थे उसके बारे में पटना के सिनियर सिटीजन खुद बता रहे हैं.

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पहलगाम में बीते महीने हुए आतंकी हमले का जवाब भारत ने दिया है. भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके के आतंकी ठिकानों पर हवाई हमले किए. कई आतंकियों को ढेर भी किया. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव की स्थिति के दौरान बुधवार को मॉक ड्रिल में हमले से बचने के तरीके सिखाये गए. युद्ध के हालात से निपटने की तैयारी हुई. पटना समेत बिहार के 6 शहरों में ब्लैकआउट एक्सरसाइज की गयी. पटना के सिनियर सिटीजनों ने उन हालातों के बारे में बताया जो 54 साल पहले युद्ध के दौरान बने थे.

पहली बार पूरा पटना अंधेरा हुआ था

पंजाबी बरदारी के पूर्व अध्यक्ष सरदार गुरदयाल सिंह कहते हैं- ”सन 1962 में चीन द्वारा पहले आक्रमण के समय भारत ने बड़ा दंश झेला था. उस समय देश में सेना शक्ति व आधुनिक हथियारों का अभाव था. आकाश में गर्जना करते हुए विमानों को हमने देखा है. ब्लैक आउट को पहली बार महसूस किया था. मैं उस वक्त दसवीं कक्षा का छात्र था. पहली बार राजधानी पटना में पूरा अंधेरा हो गया था.

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दूसरी बार 1965 में हुआ था ब्लैकआउट

सरदार गुरदयाल सिंह ने बताया कि दूसरी बार सन 1965 में जब भारत -पाक युद्ध के बीच पटना में भी ब्लैक आउट और मॉक ड्रिल किया गया था. हमलोगों को कॉलेज में एनसीसी ज्वाइन करना आवश्यक हो गया था. ब्लैक आउट में युद्ध की परिस्थिति में हथियार चलाना व नर्सिंग की जानकारी बहुत लोगों को हो चुकी थी. दूसरी बार 1971 में पाकिस्तान -बांग्लादेश के युद्ध के वक्त भी पटना में ब्लैक आउट हुआ था.

ब्लैकआउट होता तो पांच दिनों तक घरों में कैद रहते थे…

पटना विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. कामेश्वर प्रसाद बताते हैं कि ”1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान देश के कई हिस्सों में ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न हुई थी. जैसे ही सायरन बजता था, लोग तुरंत सतर्क हो जाते थे. ब्लैकआउट के दौरान पूरे शहर की बिजली सप्लाइ मुख्य सब-स्टेशन से काट दी जाती थी. इस दौरान सड़कों पर सन्नाटा पसरा होता था और लोग अपने घरों से बाहर नही निकलते थे. यह स्थिति चार-पांच दिनों तक लगातार बनी रही थी. लोगों के मन में डर और अनिश्चतता का माहौल था, लेकिन साथ ही देशभक्ति और सहयोग की भावना भी दिखती थी. रेडियो से लगातार समाचार सुनकर लोग हालात की जानकारी लेते थे. यह ब्लैकआउट उस युद्धकाल की एक जीवंत स्मृति है, जिसने आम जनजीवन को सीधे तौर पर प्रभावित किया था.

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