Bihar Weather: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अभी तक के आंकड़े बताते हैं कि ‘बाढ़ का मैदान’ कहे जाने वाले उत्तर बिहार में अप्रत्याशित सूखे की दस्तक ने किसानों की नींद छीन ली है. उत्तर बिहार का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जहां सामान्य बारिश हुई हो. मौसम के जानकारों के अनुसार सालों बाद यह स्थिति बनी है. हालांकि तुलनात्मक रूप में कम बरसात का क्षेत्र माने जाने वाले दक्षिण बिहार के कई जिलों में कुछ अच्छी बारिश हुई है. इन सबके बीच अभी तक पूरे बिहार में सामान्य से 44% कम बारिश हुई है. यह आंकड़ा छोटे राज्य मेघालय के बाद पूरे देश में सबसे कम बारिश का है.
उत्तर बिहार के प्रमुख जिलों में बारिश का हाल
जिला कम बारिश
- सीतामढ़ी 83%
- पूर्वी चंपारण 78%
- सहरसा 72%
- सुपौल 70%
- गोपालगंज 70%
- मुजफ्फरपुर 70%
- मधुबनी 68%
- शिवहर 68%
- सारण 68%
- पश्चिमी चंपारण 67%
- मधेपुरा 67%
- पूर्णिया 65%
- दरभंगा 60%
- अररिया 58%
- समस्तीपुर 53%
- सिवान 53%
- किशनगंज 52%
- कटिहार 47%
- बेगूसराय 32%
- खगड़िया 30%
दक्षिण बिहार में इस बार संतोषजनक बारिश
मानसून के लिहाज से इस बार खास बात यह है कि सामान्य तौर पर सूखाग्रस्त रहने वाले दक्षिण बिहार के अधिकतर जिलों में सामान्य बारिश रही है. उदाहरण के लिए औरंगाबाद, भभुआ, जमुई, लखीसराय, नवादा, रोहतास और शेखपुरा में सामान्य बारिश हुई है. दक्षिण बिहार का गया जी जिला एक मात्र ऐसा जिला है, जहां सामान्य से 28% अधिक बारिश हुई है.
दक्षिण और मध्य बिहार के यह जिले भी झेल रहे अवर्षा की स्थिति
जहानाबाद में सामान्य से सामान्य से 42% कम, अरवल और पटना में 41% कम, बक्सर में 38%, वैशाली व मुंगेर में 32% और भोजपुर में सामान्य से 28% कम बारिश दर्ज की गयी है.
मानसून सत्र में सबसे 150 मिलीमीटर से कम वाले वाले जिले
जिला- अब तक बारिश (एमएम में)
- सीतामढ़ी- 85
- पूर्वी चंपारण- 107
- सारण- 129
- गोपालगंज- 134
- मुजफ्फरपुर- 136
- सहरसा-146
- भोजपुर- 148
क्लाइमेट चेंज से बुरी तरह प्रभावित हो रही बिहार की खेती- डॉ सत्तार
डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि पूसा के वरिष्ठ मौसम विज्ञानी डॉ ए सत्तार ने कहा कि बिहार में मॉनसून की ट्रफ लाइन और बारिश के लिए जवाबदेह सिस्टम राज्य से बाहर बन रहे हैं. पिछले कुछ सालों से यह प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है. इस बार अवर्षा से खासतौर पर उत्तर बिहार की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है. लंबी अवधि की धान की वैरायटी अब लगना असंभव है. किसान ने मध्यम अवधि का उपयोग किया है. वह भी अवर्षा से प्रभावित है. अगर किसी किसान ने हिम्मत भी की तो उसका लागत बढ़ जायेगी. इससे किसानों को फायदा नहीं होने वाला है. पिछले कुछ सालों से यह देखा जा रहा है कि उत्तर बिहार में बारिश घट रही है. दक्षिण बिहार में कुछ बढ़ रही है. बात साफ है कि किसानों को अब खेती बड़ी समझदारी से करनी होगी. दक्षिण बिहार में स्थिति कुछ ठीक है.

