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बिहार में अब 11 नए शहर बसेंगे, राष्ट्रीय स्तर तक शहरीकरण ले जाने का BIG प्लान

Bihar Urban Development: बिहार में चार दशक बाद पहली बार 11 नए शहर बसने जा रहे हैं. राज्य का शहरी मानचित्र बदलने वाली यह सबसे बड़ी योजना मानी जा रही है, जिसे सरकार ‘ग्रीनफील्ड टाउनशिप’ मॉडल पर विकसित करेगी.

Bihar Urban Development: बिहार में शहरीकरण की रफ्तार तेज करने के लिए राज्य सरकार ने ऐतिहासिक कदम उठाया है. 40 वर्षों में पहली बार इतना बड़ा शहरी विस्तार होने जा रहा है. नगर विकास एवं आवास मंत्री नितिन नवीन की अध्यक्षता में हुई बैठक में 11 सैटेलाइट/ग्रीनफील्ड टाउनशिप विकसित करने का फैसला लिया गया. ये शहर आधुनिक बुनियादी ढांचे, पर्यावरण अनुकूल प्लानिंग और राष्ट्रीय मानक के शहरी सुविधाओं के आधार पर विकसित किए जाएंगे.

सरकार का दावा है कि यह कदम बिहार के शहरी ढांचे को नया रूप देगा और भविष्य की आबादी को संभालने में मदद करेगा.

40 वर्षों में सबसे बड़ा शहरी विस्तार, 11 शहर होंगे विकसित

पटना, पाटलिपुत्र और कंकड़बाग के बाद बिहार में नए शहर बसने की योजना लंबे समय से लंबित थी. बढ़ती आबादी, सीमित जगह और अव्यवस्थित विकास को देखते हुए सरकार ने अब 11 सैटेलाइट टाउनशिप को मंजूरी दी है. इनमें 9 प्रमंडलीय मुख्यालयों के आसपास नए शहर विकसित किए जाएंगे, जबकि दो विशेष क्षेत्र सीतामढ़ी (सीतापुरम) और पटना–सोनपुर बेल्ट को नई टाउनशिप के रूप में चुना गया है. मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि लक्ष्य स्पष्ट है, बिहार के शहरीकरण को राष्ट्रीय मानक तक ले जाना.

कैसा होगा बिहार का नया शहरी मॉडल?

सरकार ने इन 11 शहरों को ग्रीनफील्ड टाउनशिप मॉडल पर बसाने का निर्णय लिया है. यह मॉडल पूरी तरह नए और योजनाबद्ध शहर विकसित करने पर आधारित है, जिनमें शुरुआत से ही आधुनिक संरचना, पर्यावरण–अनुकूल डिजाइन और पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाएं होती हैं.

इन टाउनशिप में विशेष ध्यान दिया जाएगा. पर्यावरण-सम्मत निर्माण, पर्याप्त हरित क्षेत्र, ट्रैफिक प्रबंधन, जल निकासी और सीवरेज सिस्टम, कचरा निपटान और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट चौड़ी सड़कों और बेहतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था, व्यवस्थित आवासीय क्षेत्र और कमर्शियल जोन, सरकार का कहना है कि ये शहर भविष्य की जनसंख्या और बढ़ते आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए तैयार किए जा रहे हैं.

प्रशासकीय समितियां करेंगी विकास की निगरानी

शहरी विकास विभाग ने प्रत्येक जिले में विशेष प्रशासकीय समितियां बनाने का निर्णय लिया है. इन समितियों में भूमि अधिग्रहण अधिकारी, शहरी योजनाकार, राजस्व और भूमि सुधार विभाग के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
ये टीमें टाउनशिप की रूपरेखा तय करेंगी, सीमाओं का निर्धारण करेंगी और सार्वजनिक सुविधाओं के अनुपात पर नजर रखेंगी. भूमि अधिग्रहण के लिए लैंड पुलिंग पॉलिसी लागू की जाएगी, जिसमें भूमि स्वामी भी साझेदार बनेंगे. भूमि मालिकों को विकसित सुविधाओं सड़क, पार्क, और सामुदायिक ढांचे के साथ उनका हिस्सा वापस दिया जाएगा. यह मॉडल दिल्ली, गुजरात और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में सफल रह चुका है.

कौन-कौन से शहर होंगे शामिल?

प्रस्तावित टाउनशिप पटना, मुजफ्फरपुर,भागलपुर, गया, दरभंगा, मुंगेर, सारण,सहरसा, पूर्णिया, सीतामढ़ी (सीतापुरम), पटना–सोनपुर बेल्ट पर विकसित होंगी. पटना के आसपास कई सालों से नई टाउनशिप की जरूरत महसूस की जा रही थी, खासकर पाटलिपुत्र और कंकड़बाग जैसे क्षेत्रों की सफलता को देखते हुए.

बिहार के प्रमुख शहर तेजी से फैल रहे हैं, लेकिन इनका विकास अक्सर अनियोजित रहता है. बढ़ती आबादी, ट्रैफिक दबाव, प्रदूषण, जलजमाव और सीमित आवासीय विकल्प जैसी समस्याएं सामने आ रही थीं. सैटेलाइट टाउनशिप बनने के बाद मुख्य शहरों पर दबाव कम होगा और नए क्षेत्र योजनाबद्ध रूप से विकसित होंगे. सरकार का मानना है कि ये प्रोजेक्ट बिहार के भविष्य की दिशा तय करेंगे और रोजगार, निवेश तथा आवासीय सुविधाओं के नए अवसर पैदा करेंगे.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर. लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया में पीएच.डी. . वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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