Bihar Politics: आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की बैठक पटना में हो रही है. 24 सितंबर का यह दिन बिहार कांग्रेस के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है.
सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक चलने वाली इस बैठक को आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है. पार्टी का दावा है कि यह महज एक औपचारिक बैठक नहीं, बल्कि शक्ति प्रदर्शन होगा, जिसके जरिए कांग्रेस खुद को बिहार की राजनीति के केंद्र में स्थापित करने की कोशिश करेगी.
पटना बना कांग्रेस का अखाड़ा
राजधानी पटना आज कांग्रेस नेताओं की मौजूदगी से गूंज रही है. राहुल गांधी, सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत 170 से ज्यादा बड़े नेता यहां जुटे हैं. कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री भी बैठक का हिस्सा बने हैं.हिमाचल प्रदेश के सुखविंदर सिंह सुक्खू, कर्नाटक के सिद्धरमैया और तेलंगाना के रेवंत रेड्डी बिहार में कांग्रेस की रणनीति तय करने में साथ देंगे.
पार्टी ने इस बैठक को लेकर जो माहौल बनाया है, उसमें तेलंगाना की झलक साफ दिखती है. साल 2023 में हैदराबाद में CWC की बैठक के बाद कांग्रेस ने वहां चुनावी जीत दर्ज की थी. अब वही फॉर्मूला बिहार में आजमाने की तैयारी है.
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम का कहना है कि “तेलंगाना की तरह बिहार में भी कांग्रेस सत्ता परिवर्तन करेगी और भाजपा की असलियत को बेनकाब करेगी.”
जर्मन हैंगर में सजेगा सियासी मंच
सदाकत आश्रम में 30,000 स्क्वायर फीट का जर्मन हैंगर लगाया गया है. यह पूरी तरह एयरकंडीशंड टेंट है, जिसमें राज्यों की संस्कृति को पेंटिंग्स के जरिए दिखाया जाएगा.
कोलकाता से मंगाए गए झूमर और डिजिटल वर्म लाइट इस सियासी मंच को और भव्य बना रहे हैं, यहीं पर नेता अगले चुनाव के लिए एजेंडा तय करेंगे और एक विधेयक भी पास किया जाएगा, जिसका मसौदा पहले ही तैयार है.
कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश
प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने दावा किया है कि इस बैठक ने बिहार कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में नया उत्साह भर दिया है. सदाकत आश्रम में लगातार कार्यकर्ता जुट रहे हैं. उनका मानना है कि शीर्ष नेताओं की मौजूदगी और भव्य आयोजन से पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूती मिलेगी.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और सदाकत आश्रम का महत्व
सदाकत आश्रम सिर्फ एक जगह नहीं, बल्कि आजादी की लड़ाई का प्रतीक है. 1921 में मौलाना मजहरूल हक ने 21 एकड़ जमीन दी थी, जिस पर आश्रम की स्थापना हुई. यही वह जगह है, जहां महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद और जवाहरलाल नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम की रणनीतियां तय कीं.
कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक यहां आखिरी बार 1940 में हुई थी. अब 84 साल बाद इस जगह पर फिर से कांग्रेस का दायरा तय किया जा रहा है.
बिहार की सियासत में कांग्रेस की चुनौती
बिहार में कांग्रेस लंबे समय से हाशिए पर रही है. गठबंधन की राजनीति में अक्सर वह दूसरे पायदान पर सिमट जाती है.पटना की इस बैठक के जरिए कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह खुद को निर्णायक शक्ति के रूप में पेश करेगी. तेलंगाना का उदाहरण पार्टी के सामने है और अब वह बिहार में उसी राह पर आगे बढ़ना चाहती है.
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