Bihar Police: बिहार के बॉर्डर एरिया में स्थित थानों की नेटवर्क कनेक्टिविटी पहले से और मजबूत की जाएगी. इस कड़ी में शैडो जोन (बिना नेटवर्क वाले क्षेत्र) में आने वाले थानों की पहचान कर इसकी सूची जिले के पुलिस अधीक्षक के माध्यम से तैयार की जा रही है.
हाल में बदले गए सभी थानों के मोबाइल नंबर
मिली जानकारी के अनुसार राज्य के सीमाई इलाकों में स्थित कई ऐसे थाने हैं, जहां नेटवर्क एक बड़ी चुनौती बनी हुई है. हालांकि, पुलिस मुख्यालय की तरफ से 1 सितंबर से सभी थानों के मोबाइल नंबरों में बदलाव किया गया है. ऐसा इसलिए किया गया है ताकि मोबाइल नंबर पर कॉल करने पर किसी तरह की दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े.
इन इलाकों में है समस्या
जानकारी मिली है कि पुलिस मुख्यालय विधानसभा चुनाव से पहले कमजोर नेटवर्क वाले थानों की पहचान कर नेटवर्क को मजबूत करेगा, ताकि विधानसभा चुनाव में किसी भी तरह की तकनीकी दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़े. भागलपुर, बांका, जमुई, लखीसराय, किशनगंज, अररिया, सुपौल, सहरसा और मधेपुरा के कई ग्रामीण इलाकों में स्थित थानों में अभी भी नेटवर्क बड़ी समस्या है, जिस कारण कई बार थानाध्यक्ष से संपर्क भी नहीं हो पाता है.
तत्काल सूचना का आदान-प्रदान में दिक्कत
बता दें कि सीमावर्ती क्षेत्रों के कई थानों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या के कारण पुलिसकर्मियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. इन इलाकों में अक्सर मोबाइल फोन काम ही नहीं करता है. जिससे तत्काल सूचना का आदान-प्रदान करना काफी मुश्किल हो जाता है. नेपाल सीमा से सटे कुछ थानों में तो स्थिति और भी ज्यादा चिंताजनक है. वहां तो भारतीय नेटवर्क के बजाय नेपाली नेटवर्क काम करने लगता है. इससे न सिर्फ संचार में बाधा आती है बल्कि सुरक्षा संबंधी गोपनीय जानकारियों के लीक होने का भी खतरा बना रहता है.
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पुलिस मुख्यालय ने तैयार की विस्तृत योजना
ठीक इसी तरह के मामले अररिया और सुपौल जिला के थानों में अक्सर होता है. इन दोनों जिलों के कई थाना नेपाल की सीमा से सटे हुए हैं. नेटवर्क की समस्या समाधान के लिए पुलिस मुख्यालय ने एक विस्तृत योजना तैयार की है. जिसके तहत शैडो जोन वाले थानों की पहचान की जा रही है और वहां नेटवर्क की समस्या को दूर करने के लिए टेलीफोन कंपनियों से समन्वय स्थापित किया जाएगा. इस कड़ी में जहां टावर की जरूरत होगी, वहां इसे लगवाने की व्यवस्था की जाएगी. साथ ही वायरलेस और मोबाइल सिस्टम को भी पहले से अधिक अपग्रेड किया जाएगा, ताकि संचार प्रणाली को और अधिक विश्वसनीय बनाया जा सके.
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