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Bihar News: कन्या उत्थान योजना में फंसी छात्राओं की उम्मीदें, बीआरए बिहार विवि की लापरवाही से 50 हजार का नुकसान

Bihar News: दस्तावेज जमा किए, कॉलेज के चक्कर लगाए, फिर भी पोर्टल पर नाम नहीं... आखिर दोषी कौन?

Bihar News: बिहार सरकार की महत्वाकांक्षी कन्या उत्थान योजना का उद्देश्य छात्राओं को उच्च शिक्षा की ओर प्रोत्साहित करना है. लेकिन दरभंगा स्थित बीआरए बिहार विश्वविद्यालय (BRA Bihar University) की लापरवाही ने इस योजना को सवालों के घेरे में ला दिया है.

स्नातक पास करने के बावजूद छात्राओं को 50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि नहीं मिल पा रही है. कभी पोर्टल में तकनीकी गड़बड़ी, तो कभी अंकपत्र पेंडिंग होने की वजह से छात्राओं के सपने अधर में अटक गए हैं.

कॉलेज से विवि तक का चक्कर

कन्या उत्थान योजना का लाभ लेने के लिए छात्राओं को अपने कॉलेज से लेकर विवि तक दौड़-भाग करनी पड़ रही है.कई छात्राओं ने बताया कि पिछली बार पोर्टल खुलने पर उन्होंने सभी दस्तावेज कॉलेज में जमा कर दिए थे. इसके बावजूद उनका नाम पोर्टल पर नहीं दिख रहा है. जब वे विश्वविद्यालय पहुंचीं तो प्रशासन ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि अब आवेदन कॉलेज के स्तर से ही करना होगा.

“हमसे क्यों छीना जा रहा अधिकार?”
दरभंगा की पूजा कुमारी (काल्पनिक नाम) बताती हैं,

“हमने सभी प्रक्रिया पूरी की, लेकिन नाम पोर्टल पर नहीं है. कॉलेज वाले कहते हैं कि विवि से पूछो और विवि कहता है कि कॉलेज से पूछो. आखिर दोष किसका है और नुकसान हमारा क्यों हो रहा है?”

छात्राओं का कहना है कि बिना गलती किए भी वे 50 हजार की राशि से वंचित हो रही हैं.

सेल्फ फाइनेंस और वोकेशनल कोर्स की छात्राओं की परेशानी

कन्या उत्थान योजना का लाभ फिलहाल सिर्फ पारंपरिक कोर्स की छात्राओं को दिया जा रहा है. जबकि सेल्फ फाइनेंस और वोकेशनल कोर्स जैसे कॉमर्स, बीबीए, बीसीए, होम्योपैथी, नर्सिंग की छात्राओं को इसका फायदा नहीं मिलेगा. सवाल यह उठता है कि अगर इन कोर्सेज को राजभवन से मान्यता नहीं है, तो आखिर विश्वविद्यालय ने इनका नामांकन क्यों कराया?

अंकपत्र बना सबसे बड़ी बाधा

पोर्टल पर आवेदन करने के लिए अंकपत्र अनिवार्य है. लेकिन विवि के कामकाज की धीमी रफ्तार से हजारों छात्राएं फंसी हुई हैं. पांच हजार से अधिक छात्राएं अभी भी अंकपत्र के इंतजार में हैं. कई कॉलेजों ने छात्रों के आवेदन स्वीकार ही नहीं किए क्योंकि अंकपत्र पेंडिंग है.

हालांकि विवि प्रशासन का कहना है कि पिछले दो दिनों में छह हजार से अधिक अंकपत्र बनाए गए और कॉलेजों को भेजे गए हैं. लेकिन सवाल यह है कि बाकी छात्राओं का क्या होगा?

छात्राओं में गुस्सा और निराशा

लड़कियों का कहना है कि योजना का असली मकसद तभी पूरा होगा जब प्रक्रिया पारदर्शी और सरल बने. वर्तमान हालात में छात्राएं अपने हक की रकम पाने के लिए दर-दर भटक रही हैं. कई ने तो यहां तक कहा कि

“सरकार ने तो कन्या उत्थान योजना शुरू कर हमारी हिम्मत बढ़ाई, लेकिन विवि प्रशासन ने हमारी मेहनत और उम्मीदों पर पानी फेर दिया.”

कौन देगा जवाब? विवि प्रशासन ने जिम्मेदारी कॉलेजों पर डाल दी है. कॉलेज प्रशासन कह रहा है कि विवि से मंजूरी के बिना कुछ नहीं हो सकता. विभागीय स्तर पर सिर्फ “लिखने और इंतजार करने” की प्रक्रिया जारी है. ऐसे में छात्राओं के सामने सवाल है कि क्या उनकी मेहनत और डिग्री का कोई मोल नहीं?

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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