Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव में हार के बाद RJD अब अपने स्तर पर नुकसान की हर वजह को खंगाल रही है. इसी सिलसिले में पार्टी ने 32 गायकों और अभिनेताओं को ‘कारण बताओ नोटिस’ भेजा है. आरोप है कि चुनाव प्रचार के दौरान कई गानों को जाति और पार्टी विशेष से जोड़कर इस तरह प्रचारित किया गया मानो उन्हें RJD ने ही जारी किया हो. पार्टी का कहना है कि इन गानों ने RJD की छवि को सीधे-सीधे नुकसान पहुंचाया.
गानों के बहाने RJD की छवि पर चोट?
चुनावी माहौल में ‘सिक्सर के छह गोली सीना में…’ और ‘लठिया के जोर से लनटेनवा…’ जैसे गाने खूब वायरल हुए. इन गानों में RJD और उसके नेताओं का नाम लेकर ऐसे बोल रखे गए जिनका पार्टी से कोई आधिकारिक संबंध नहीं था. RJD के मुताबिक, सोशल मीडिया पर इन गीतों को इस तरह फैलाया गया कि जनता उन्हें पार्टी की प्रचार सामग्री समझने लगी.
RJD के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि RJD ने इनमें से किसी भी गीत को न तो अप्रूव किया था और न ही प्रचारित किया. इसके बावजूद इन गानों का राजनीतिक इस्तेमाल हुआ और पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश की गई.
32 गायकों/अभिनेताओं को नोटिस, कोर्ट तक जाने की तैयारी
RJD ने ऐसे 32 कलाकारों की सूची बनाकर उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा है. पार्टी ने उनसे पूछा है कि उन्होंने बिना अनुमति RJD और उसके नेताओं का नाम लेकर ऐसे भड़काऊ कंटेंट क्यों जारी किए. अगर उनके जवाब संतोषजनक नहीं पाए जाते, तो RJD उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई और लीगल नोटिस भेजने की तैयारी में है.
शक्ति सिंह यादव ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद इन वायरल गानों पर प्रतिक्रिया दी थी, जिससे यह और अधिक स्पष्ट होता है कि ये गाने चुनावी माहौल को प्रभावित कर रहे थे. उनके अनुसार, पार्टी की छवि धूमिल करने का यह एक सुनियोजित प्रयास था.
हार की समीक्षा में गानों का असर भी शामिल
2025 की हार के बाद RJD अब जातीय समीकरण, सामाजिक वोटिंग और सीट-दर-सीट प्रदर्शन की विस्तृत समीक्षा कर रही है. पार्टी ने माना कि लोकसभा चुनाव 2024 के बाद जो समीक्षा रिपोर्ट बनी थी, उसे गंभीरता से लागू नहीं किया गया, जिसका नुकसान विधानसभा चुनाव में दिखा.
जानकारों का कहना है कि अगर उस रिपोर्ट को समय पर लागू किया जाता, तो RJD को 2025 की हार में इतना बड़ा नुकसान नहीं उठाना पड़ता. अब पार्टी ऐसी किसी भी गलती को दोहराने से बचना चाहती है. इसी वजह से गानों के प्रभाव और सोशल मीडिया नैरेटिव को भी समीक्षा का एक हिस्सा बनाया गया है.
जाति आधारित गानों ने क्यों बढ़ाई RJD की चिंता
RJD को लगता है कि इन गानों के जरिए जातीय ध्रुवीकरण को हवा दी गई. ऐसे गीतों को खास जाति और RJD की पुरानी छवि से जोड़कर प्रचारित किया गया, जिससे पार्टी के नए नेतृत्व खासकर तेजस्वी यादव की कोशिशों को नुकसान पहुंचा.
पार्टी का कहना है कि यह सिर्फ मनोरंजन का मामला नहीं बल्कि चुनावी नैरेटिव को नुकसान पहुंचाने की रणनीति थी. इसलिए अब पार्टी ऐसे किसी भी कंटेंट पर सख्त रुख अपनाने के मूड में है.
RJD इसे अपनी छवि सुधारने और भविष्य की रणनीति को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम मान रही है.

