Bihar News: बिहार भूकंपीय जोखिम वाले राज्यों में शामिल है, ऐसे में छोटे-से-छोटे कंपन की सटीक निगरानी बेहद जरूरी है. इसी को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) ने राज्य में छह नई स्थायी भूकंपीय वेधशालाएं स्थापित करने का प्रस्ताव भेजा है. यह वेधशालाएं राज्य के भूकंप पूर्वानुमान, त्वरित निगरानी और आपदा तैयारी को और मजबूत कर देंगी.
राज्य में छह जिलों में बनेंगी नई वेधशालाएं
एनसीएस ने जिन छह जिलों का चयन किया है, उनमें पूर्णिया, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, पटना, सासाराम और औरंगाबाद शामिल हैं. ये वेधशालाएं ऐसे क्षेत्रों को कवर करेंगी जहां भूकंपीय गतिविधि बार-बार दर्ज होती है या जहां बेहतर मॉनिटरिंग की आवश्यकता महसूस की जाती रही है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये स्टेशन राज्य में सिस्मिक डेटा इकट्ठा करने की क्षमता को कई गुना बढ़ा देंगे.
क्यों जरूरी है यह मॉनिटरिंग?
एनसीएस के वैज्ञानिक डॉ. एपी सिंह के अनुसार, बिहार का बड़ा हिस्सा भूकंपीय जोन में आता है, जहां मध्यम से भारी भूकंप का खतरा हमेशा बना रहता है. नई वेधशालाएं वास्तविक समय में जमीन की हलचल दर्ज करेंगी, जिससे छोटे कंपन भी रिकॉर्ड होंगे और बड़े भूकंपों को लेकर समय से चेतावनी मिल सकेगी. इससे आपदा प्रबंधन तंत्र अधिक तेजी से प्रतिक्रिया दे सकेगा.
पटना में पहले से है Real-Time मॉनिटरिंग की सुविधा
नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी ने पटना मौसम विज्ञान केंद्र में एक अत्याधुनिक सीस्मिक स्टेशन स्थापित किया है, जो देश-विदेश में आने वाले शक्तिशाली भूकंपों को रिकॉर्ड करने में सक्षम है. देशभर में ऐसे 169 स्टेशन मौजूद हैं. बिहार में पहले भी गया, जमुई, अररिया, सीतामढ़ी, वाल्मीकिनगर, मधुबनी और साया डेरा में सीस्मिक सेंटर चल रहे हैं.
इन स्टेशनों पर आधुनिक उपकरण लगे हैं, जो जमीन की गहराई तक होने वाली कंपन को पकड़ने की क्षमता रखते हैं. नई वेधशालाओं के जुड़ने से बिहार का भूकंप नेटवर्क अब और भी व्यापक और संवेदनशील हो जाएगा.
आपदा प्रबंधन होगा और मजबूत
जब ये छह नई वेधशालाएं शुरू होंगी, तो बिहार में भूकंपीय जोखिम का वैज्ञानिक मूल्यांकन आसान हो जाएगा. सरकार को भूकंप प्रवण इलाकों की रियल-टाइम रिपोर्ट मिल सकेगी और आपदा प्रबंधन से जुड़े विभाग समय रहते तैयारी कर पाएंगे.

