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Bihar News: स्वच्छ ऊर्जा क्षेत्र में होगा 13 हजार करोड़ का निवेश, बिहार सरकार दो कंपनियों से करेगी एमओयू

Bihar News: पूरे राज्य में उपयुक्त स्थानों की पहचान कर पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए रुचि प्रस्ताव जारी किया था. जिन प्रस्तावों का चयन हुआ है, उनमें ग्रीनको की 7308 मेगावाट प्रति घंटा और सन पेट्रो केमिकल्स की 6973 मेगावॉट प्रति घंटा क्षमता वाली परियोजनाएं शामिल हैं.

Bihar News: पटना. बिहार सरकार ने पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दो निजी कंपनियों, ग्रीनको एनर्जीज प्राइवेट लिमिटेड और सन पेट्रो केमिकल्स प्राइवेट लिमिटेड का चयन किया है. दोनों कंपनियों के साथ जल्द ही समझौते पर हस्ताक्षर किए जायेंगे. सरकार का अनुमान है कि इन परियोजनाओं के माध्यम से राज्य में लगभग तेरह हजार करोड़ रुपये का निजी निवेश आयेगा. इसके साथ ही आठ हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा और युवाओं के लिए कौशल विकास के नये अवसर भी खुलेंगे.

इन कंपनियों से होगा करार

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि इन परियोजनाओं की खासियत यह है कि ये किसी नदी पर निर्भर नहीं होतीं. इसलिए पर्यावरण को कम नुकसान होता है और जमीन तथा आसपास के इलाकों पर दबाव भी सीमित रहता है. राज्य की पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट प्रोमोशन नीति- 2025 के तहत बिहार राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को इन परियोजनाओं के संचालन, निगरानी और विकास के लिए नोडल संस्था बनाया गया है. निगम ने पूरे राज्य में उपयुक्त स्थानों की पहचान कर पंप्ड स्टोरेज परियोजनाओं के लिए रुचि प्रस्ताव जारी किया था. जिन प्रस्तावों का चयन हुआ है, उनमें ग्रीनको की 7308 मेगावाट प्रति घंटा और सन पेट्रो केमिकल्स की 6973 मेगावॉट प्रति घंटा क्षमता वाली परियोजनाएं शामिल हैं.

नेट ज़ीरो लक्ष्य पाने में मददगार बनेगा बिहार

ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह नीति बिहार को देश के नेट ज़ीरो लक्ष्य में एक सक्रिय भागीदार बनायेगी. उनका कहना है कि पंप्ड स्टोरेज तकनीक स्वच्छ, विश्वसनीय और पर्यावरण के अनुकूल ऊर्जा व्यवस्था को मजबूत करेगी और आने वाले वर्षों में बिहार की बिजली प्रणाली को अधिक सुरक्षित और सक्षम बनाएगी.

क्या है पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट

जब राज्य में बिजली की जरूरत से अधिक उत्पादन होता है, तो उसी अतिरिक्त बिजली का उपयोग करके पानी को ऊपर बने जलाशय में चढ़ाया जाता है. जब बिजली की मांग बढ़ती है, तो उसी पानी को ऊपर से नीचे छोड़ा जाता है, जिससे टरबाइन घूमती है और बिजली का उत्पादन होता है. इस तरह पानी बिजली को संग्रहित करने का माध्यम बन जाता है. यही कारण है कि इसे पानी के रूप में बिजली जमा करने वाली बड़ी बैटरी भी कहा जाता है.

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Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने के लिए प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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